शब्द का अर्थ
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अउ :
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अव्य=और।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अउझक :
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क्रि० वि० =औचक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अउठा :
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पुं० [?] जुलाहों का एक प्रकार का गज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अउत :
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वि० [सं० अयुक्त] जो युक्ति संगत या ठीक न हो। अर्थात् अनुचित या अनुपयुक्त। उदाहरण—अउत होइ घड़ि छोड़ौ हो राम- नरपति नाल्ह।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अउधू :
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पुं०=अवधूत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अउर :
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अव्य=और।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अउरौ :
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पद [हि० अउर=और] १. और भी। २. इसके अतिरिक्त या सिवा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अउलगना :
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अ० [सं० उल्लंघन] १. उल्लघंन करना। उलाँघना। २. प्रवास या यात्रा करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अउहेर :
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स्त्री०=अवहेलना। (अवज्ञा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अउहेरना :
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अ०[सं० अवहेलन] अवज्ञा या अवहेलना करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |