शब्द का अर्थ
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अमर :
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वि० [सं० √मृ(मरना)+अच्, न० त०] १. जो कभी मरे नहीं। न मरनेवाला। २. जिसका कभी अंत, क्षय या नाश न हो। सदा जीवित रहनेवाला। शाश्वत। ३. चिरस्थायी। पुं० १. देवता। २. पारा। ३. सोना। स्वर्ण। ४. उनचास पवनों में से एक। ५. ज्योतिष में, नक्षत्रों का एक गण या वर्ग जिसका विचार विवाह के समय वर और कन्या का राशि-वर्ग मिलाने के लिए होता है। ६. एक प्रकार का देवदारू (वृक्ष)। |
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अमर-कंटक :
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पुं० [सं० आम्रकूट ?] विध्य पर्वतश्रेणी का एक भाग जहाँ से सोन और नर्मदा नदियाँ निकलती है। |
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अमर-तटिनी :
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स्त्री० [ष० त०] गंगा। |
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अमर-दारु :
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पुं० [मध्य० स०] देवदारू का वृक्ष। |
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अमर-धाम :
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पुं० [ष० त०] देव-लोक। स्वर्ग। |
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अमर-नाथ :
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पुं० [ष० त०] १. देवताओं के स्वामी इंद्र। २. काश्मीर में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ। |
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अमर-पख :
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पुं०=पितृ-पक्ष। |
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अमर-पति :
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पुं० [ष० त०]=इंद्र। |
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अमर-पद :
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पुं० [ष० त०] १. देवताओं का पद या स्थिति। २. मुक्ति। मोक्ष। |
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अमर-पुर :
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पु० [ष० त०] १. देवताओं का नगर। अमरावती। २. स्वर्ग। |
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अमर-पुरी :
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स्त्री० [ष० त०] इंद्रपुरी। अमरावती। |
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अमर-पुष्प :
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पुं० [ब० स०] १. कल्पवृक्ष। २. केतकी। ३. आम। ४. काँस नामक घास। |
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अमर-पुष्पक :
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पुं० [ब० स० कप्] १. कल्प-वृक्ष। २. ताल मखाना। ३. काँस। ४. गोखरू। |
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अमर-बल्ली :
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स्त्री० [कर्म० स०] दे० ‘आकाश-बेल’। |
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अमर-बेल :
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स्त्री० [सं० +हिं० ] १. आकाशबेल नाम की लता। २. हठ-योग में सहस्रार का वह रूप जब (कुंडलिनी शक्ति के ब्रह्मय-रंध्र में पहुँच जाने पर) उसमें से अमृत का प्रवाहित होना माना जाता है। |
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अमर-रत्न :
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पुं० [मध्य० स०] बिल्लौर या स्फटिक जो देवताओं का रत्न माना गया है। |
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अमर-राज :
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पुं० [ष० त०] इंद्र। |
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अमर-लोक :
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पुं० [ष० त०] देव-लोक। स्वर्ग। |
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अमर-वर :
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पुं० [स० त०] देवताओं में श्रेष्ठ, इंद्र। |
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अमरख :
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पुं० [हिं० अमरखी]=अमर्ष।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अमरज :
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पुं० [सं० अमर√जन् (उत्पन्न होना)+ड] एक प्रकार का खैर। (वृक्ष)। |
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अमरण :
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वि० [सं० न० ब०] जो मरे नहीं। अमर। पुं० [न० त०] न मरने की अवस्था या भाव। मरण या मृत्यु न होना। अमरता। |
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अमरता :
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स्त्री० [सं० अमर+तल्-टाप्] अमर होने की अवस्था या भाव। न मरना या नष्ट न होना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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अमरत्व :
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पुं० [सं० अमर+त्व] १. अमर होने की अवस्था, भाव या पद अमरता। २. देवत्य। |
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अमरपक्षी (क्षिन्) नाथ :
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पुं० [सं० मध्य० स०] एक प्रकार की कल्पित चिड़िया जिसके संबंध में यह प्रसिद्ध है कि यह अरब के रेगिस्तान में अपनी चिता आप बनाकर और उसपर बैठकर गाती है, जिससे चिता जल उठती है और यह जल मरती है। फिर उसी राख से इस तरह की और नई चिड़ियाँ पैदा होती है। कुकनुस। (फीनिक्स) |
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अमरराव :
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पुं० दे० ‘अमराई। |
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अमरस :
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पुं० [हिं० आम+रस] १. पके आम का निचोड़ा हुआ रस। २. =अमावट। |
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अमरसी :
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वि० [हिं० आमरस] आम के रस के रंग का सा। हल्का पीला। पुं० उक्त प्रकार का रंग। |
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अमरा :
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स्त्री० [सं० अमर+टाप्] १. दूब। २. गुर्च। गिलोय। ३. सेहुँड़। थूहर। ४. नील का पेड़। ५. चमड़े की झिल्ली जिसमें गर्भ का बच्चा लिपटा रहता है। जरायु। ६. नाभि का नाल जो नवजात बच्चे को लगा रहता है। ७. इंद्रायण। ८. बरगद की एक छोटी जंगल जाति। बरियारा। ९. घीक्वार। १. इंद्रपुरी। पुं० दे० ‘अमड़ा’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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अमराई :
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स्त्री० [सं० आम्ररजि] वह स्थान जहाँ आम के बहुत से वृक्ष हों। आमों का बगीचा या बारी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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अमराउ :
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पुं० [सं० आम्रराजि] आम का बगीचा। अमराई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अमराचार्य :
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पुं० [सं० अमर-आचार्य, ष० त०] देवताओं के गुरु, बृहस्पति। |
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अमराद्रि :
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पुं० [सं० अमर-अद्रि, ष० त०] देवताओं का पर्वत, समेरु। |
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अमराधिप :
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पुं० [सं० अमर-अधिप, ष० त०] देवताओं का स्वामी, इंद्र। |
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अमरापगा :
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स्त्री० [सं० अमर-आपगा, ष० त०] देवतताओं की नदी, स्वर्गगा। |
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अमरारि :
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पुं० [सं० अमर-अरि, ष० त०] देवताओं का शत्रु, असुर या राक्षस। |
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अमरालय :
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पुं० [सं० अमर-आलय, ष० त०] १. इंद्र-लोक। २. स्वर्ग। |
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अमरावती :
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स्त्री० [सं० अमर+मतुप्,वकार,दीर्घ] देवताओं की पुरी। इंद्रपुरी। |
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अमरिय :
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पुं० =अंबर। |
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अमरी :
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स्त्री० [सं० अमर+ङीष्] १. देव की पत्नी। २. प्रियामाल नामक वृक्ष। स्त्री० [स्त्री० अमर] हठ योगियों की एक विशिष्ट क्रिया। उदाहरण—बजरी करंतां अमरी राषै।—गोरखनाथ। |
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अमरीकन :
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वि०, पुं०=अमेरिकन। |
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अमरीका :
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पुं० =अमेरिका। (देश)। |
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अमरीकी :
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वि० [अं० अमेरिकन] १. अमेरिका में होने या उससे संबंध रखनेवाला। २. अमेरिका का निवासी। स्त्री० अमेरिका की भाषा। |
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अमरू :
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पुं० [सं० अंबर] एक प्रकार का बढ़िया रेशमी कपड़ा। |
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अमरूत :
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पुं० [सं० अमृत (फल)] १. एक प्रसिद्ध पेड़ जिसके फल खाये जाते है। २. इस पेड़ का फल, जो आकार में छोटा, गोल तथा पीले रंग का होता है। |
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अमरूद :
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पुं० =अमरूत। |
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अमरेश :
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पुं० [सं० अमर-ईश, ष० त०] देवताओं का राजा, इंद्र। |
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अमरेश्वर :
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पुं० [सं० अमर-ईश्वर, ष० त०] इंद्र। |
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अमरैया :
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स्त्री० =अमराई।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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अमरौली :
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स्त्री० [सं० अमर] हठ-योगियों की अमरी नाम की क्रिया। |
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अमर्त्य :
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वि० [सं० न० त०] १. न मरने वाला। अमर। २. जो मर्त्यलोक का न हो अर्थात् दिव्य या स्वर्गीय। पुं० देवता। |
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अमर्याद :
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वि० [सं० न० ब०] १. मर्यादा से रहित। जिसकी कोई सीमा न हो। २. नियम या व्यवस्था से बाहर। ३. अप्रतिष्ठित। ४. (कार्य) जिसमें मर्यादा का ध्यान न रखा गया हो। ५. व्यक्ति जो मर्यादा का उचित ध्यान न रखता हो। (इम्माडरेट, उक्त दोनों अर्थों में) |
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अमर्यादा :
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स्त्री० [न० त०] १. मर्यादा या सीमा का अभाव। २. मर्यादा या प्रतिष्ठा का अभाव। अप्रतिष्ठा। बेइज्जती। |
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अमर्ष :
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पुं० [सं० √मृष्(सहना)+घञ्, न० त०] [वि० अमर्षित, अमर्षी] १. किसी को दबा न सकने के कारण मन में होने वाला रोष। (रिजेन्टमेंट) २. क्रोध। गुस्सा। ३. असहिष्णुता। ४. साहित्य में, वह क्रोध जो किसी अभिमानी का अभिमान देखकर उत्पन्न होता तथा कुद्ध व्यक्ति का अभिमान नष्ट करने में प्रवृत्त करता है। (इसकी गिनती संचारी भावों से होती है) |
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अमर्षण :
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पुं० [सं० √मृष्+ल्युट्-अन, न० त०] १. क्रोध। गुस्सा। २. असहिष्णुता। ३. असहनशीलता। |
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अमर्षी (षिन्) :
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वि० [सं० √मृष्+णिनि, न० त०] [स्त्री० अमर्षिणी] १. मन में अमर्ष रखनेवाला। क्रोधी। २. जो सहनशील न हो। असहनशील। |
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