शब्द का अर्थ
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जे :
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सर्व० [सं० ये] १. =जो। २. =‘जो’ का बहु० रूप। अव्य० जो। यदि। (भोजपुरी)। |
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जेइ :
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सर्व० १.=जो। २.=जिसने। |
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जेउँ :
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क्रि० वि० [सं० यः+इव] ज्यों। जिस प्रकार। उदाहरण–आपु करै सब भेस मुहमद चादर ओट जेउँ।–जायसी। |
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जेऊ :
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सर्व०=जो। |
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जेकर :
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सर्व० [हिं० जें=जो+कर=का] जिसका। |
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जेकरा :
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सर्व०=देकर (जिसका)। |
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जेंगना :
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पुं०=जूगनूँ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जेगंरा :
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पुं० [देश०] वह कटा हुआ डंठल जिसमें से अनाज के दाने निकाल लिए गए हों। |
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जेज :
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पुं० [देश०] देर। विलम्ब। उदाहरण–हजरत गढ़ कीजे हलो, करो जेज किण कज्ज। बाँकीदास। |
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जेट :
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स्त्री० [सं० यूथ] १. ढेर। समूह। २. एक पर एक करके रखी हुई एक तरह की चीजों की तह थाक। जैसे–कसोरों या हँड़ियों की जेट, पूरियों या रोटियों की जेट। स्त्री० [?] क्रोड़। गोद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जेटी :
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स्त्री० [अ०] समुद्र तट का बना हुआ वह स्थान जहाँ पर वे जहाजों पर माल लादा तथा उतारा जाता है। गोदी। |
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जेठ :
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वि० [सं० ज्येष्ठ, प्रा० जिट्ट, गु० पं० जेठ, जेठु का झेठु, पं० बं० और मरा जेठ] १. बडा। २. मुख्य। ३. उत्तम। पुं० [स्त्री० जेठानी] १. पति का बड़ा भाई। २. वैशाख और आषाढ़ के बीच का महीना। |
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जेठरा :
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वि०=जेठा। |
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जेठरैत :
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पुं० [हिं० जेठा+अ० रैत] १. गाँव में सह से बड़ा या सयाना आदमी। २. गाँव का मुखिया। वि० जेठा। बड़ा। |
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जेठवा :
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वि० [हिं० जेठ] १. जेठ संबंधी। २. जेठ में होनेवाला। पुं० एक प्रकार की बढ़िया कपास जो जेठ मास में तैयार होती है। झुलवा। |
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जेठंस :
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पुं० [हिं० जेठ (ज्येष्ठ)+अंस (अंश)] १. पैतृक संपत्ति में होनेवाला बड़े भाई का अंश। २. उक्त अंश प्राप्त करने का बड़े भाई का अधिकार। |
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जेठंसी :
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स्त्री०=जेठंस। |
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जेठा :
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वि० [सं० ज्येष्ठ] [स्त्री० जेठी] [भाव० जेठाई] १. अवस्था या वय में औरों से बड़ा। जैसे–जेठा लड़का। २. अपेक्षया अच्छा या बढिया। ३. सब के अन्त में और सब से बढ़कर आने या होनेवाला। जैसे–कपड़े की रँगाई में जेठा रंग। |
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जेठाई :
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स्त्री० [हिं० जेठा] १. जेठ होने की अवस्था या भाव। जेठापन। २. बड़प्पन महत्व। |
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जेठानी :
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स्त्री० [हिं० जेठ] विवाहिता स्त्री की दृष्टि से, उसके पति के बड़े भाई की स्त्री। |
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जेठी :
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वि० [हिं० जेठ+ई (प्रत्य०)] १. जेठ-संबंधी। जेठ मास का। २. जेठ मास में होनेवाला। जैसे–जेठी धान। ३. हिं० जेठा का स्त्री रूप। स्त्री० १. जेठ मास का शेषांश जिसमें अगली फसल के लिए जमीन जोती जाती है। २. जेठ में होनेवाली एक प्रकार की कपास। ३. ‘जेठा’ में होनेवाला एक प्रकार का धान। |
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जेठी-मधु :
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स्त्री० [सं० यष्टिमधु] मुलेठी। |
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जेठुआ :
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वि० [हिं० जेठ] १.=जेठा। २.=दे० ‘जेठी’। |
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जेठौत(ा) :
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पुं० [सं० ज्येष्ठ+पुत्र] [स्त्री० जोठौती] जेठ अर्थात् पति के बड़े भाई का पुत्र। |
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जेणि :
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सर्व० [सं० येन] जिसने। उदाहरण–आरंभ मैं कियो जेणि उपायौ।–प्रिथीराज। |
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जेतवारु :
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वि०=जैतवार (जीतनेवाला)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जेतव्य :
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वि० [सं०√जि (जीतना)+तव्यत्] १. जीते जाने के योग्य। २. जो जीता जा सके। |
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जेता(तृ) :
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वि० [सं०√ जि+तृच्] जिसे जय या विजय प्राप्त हुई हो। जीतनेवाला। विजयी। पुं० विष्णु। वि० क्रि० वि० [स्त्री० जेती]=जितना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जेंताक :
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पुं० [सं०] एक प्रक्रिया जिसके द्वारा रोगी को शरीर में इसलिए गरमाहट पहुँचाई जाती है कि उसे पसीना आये और उसके साथ ही रोग के कीटाणु आदि भी निकल जायँ। |
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जेतार :
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वि० [सं० जित्वर]=जेता। |
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जेतिक :
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क्रि० वि० [हिं० जितना] जितना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जेन-केन :
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क्रि० वि=येन-केन (जैसे–तैसे। |
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जेंना :
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स०=जीमना (भोजन करना)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जेना :
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स०=जीमना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि०=जितना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जेन्यावसु :
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पुं० [सं०√जि या√जन् (उत्पत्ति)+णिच्+डेन्य+वसु, ब० स०] १. इंद्र। २. अग्नि |
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जेब :
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पुं० [फा०] कमीज, कुरते, कोट आदि में प्रायः अन्दर की ओर लगी हुई वह थैली जिसमें छोटी-मोटी चीजें रखी जाती है। खीसा। स्त्री० [फा० जेब] १. शोभा। फबन। २. प्रोत्साहन। बढावा। (क्व०) क्रि० प्र०–देना।–पाना। अव्य०=जिमि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जेब खरच :
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पुं० [हिं०] वह धन जो निजी या वैयक्तिक (पारिवारिक से भिन्न) आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय किया जाता हो, अथवा किसी को मिलता हो। |
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जेबकट :
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पुं०=जेबकतरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जेबकतरा :
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पुं० [हिं० जेब+कतरना] वह व्यक्ति जो दूसरों के जेब काट कर उनमें से रुपये-पैसे निकाल लेता हो। |
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जेबघड़ी :
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स्त्री० [फा० जेब+हिं० घड़ी] जेब में रखी जानेवाली चिपटी गोल घड़ी। |
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जेबदार :
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वि० [फा०] शोभा से युक्त। सुन्दर। |
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जेबरा :
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पुं०=जेबरा (पशु)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जेबा :
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पुं० [?] जिरह बख्तर। कवच। उदाहरण–जेबा खोलि राग सों मढ़े। लेजिम घालि इराकिन्ह चढ़े।–जायसी। पुं०=जेब।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि० [फा० जेबा] शोभाजनक। |
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जेबी :
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वि० [फा०] १ जो साधारणतः जेब में रखा जाता हो या रहता हो। जैसे–जेबी घड़ी, जेबी रुमाल। २. जो इतना छोटा हो कि जेब में रखा जा सके जैसे–किताब का जेबी संस्करण। |
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जेम :
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अव्य=जिमि (जैसे)। |
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जेमन :
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पुं० [सं०√जिम् (भक्षण)+ल्युट-अन] १. भोजन करना। जीमना। २. ज्योनार। |
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जेय :
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वि० [सं०√जि (जीतना)+यत्] जीते जाने के योग्य। जो जीता जा सके। वि० [सं० जय] जीतनेवाला। जेता। उदाहरण–अदेव देव जेय भीत रक्षमनि लेखिए–केशव। |
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जेर :
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वि० [फा० जेर] [भाव० जेरबारी] १. नीचे आया या लाया हुआ। २. पराजित। परास्त। ३. अधिकार या वश में किया हुआ। ४. जिसे बहुत तंग या परेशान किया गया हो। क्रि० वि० नीचे। तले। पुं० [?] सुन्दर वन में होनेवाला एक प्रकार का वृक्ष। स्त्री० दे० ‘आँवल’ (खेड़ी)। |
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जेर-बार :
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वि० [फा० ज़ेरबार] [भाव० जेरबारी] १. विपत्ति, संकट आदि में दबा हुआ। २. व्यय आदि के भार से दबा हुआ। |
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जेरना :
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स० [हिं० जेर] १. पराजित करना। २. अधिकार या वश में करना। ३. तंग या परेशान करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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जेरपाई :
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स्त्री० [फा०] १. स्त्रियों की जूती। २. जूता। |
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जेरबंद :
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पुं० [फा०] घोड़े के साज की मोहरी में लगा हुआ तस्मा जिसका दूसरा सिरा तंग में बाँधा जाता है। |
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जेरी :
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स्त्री० [?] १. चरवाहों के हाथ में रहनेवाला डंडा या लाठी। २. खेती-बारी का एक उपकरण। स्त्री० [फा० जेर=नीचे] तंग या परेशान होने की अवस्था या भाव। |
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जेल :
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पुं० [अं०] वह घिरा हुआ स्थान जिसमें राज्य द्वारा दंडित अपराधी कुछ समय तक दंड भोगने के लिए बंद करके रखे जाते हैं। क्रि० प्र०–काटना।–भोगना। स्त्री० [फा० जेर] परेशानी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जेलखाना :
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पुं० [अं० जेल+फा० खानः] वह इमारत जिसमें अपराधी दंड भोगने के लिए बंद करके रखे जाते हैं। कारागार। |
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जेलर :
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पुं० [अं०] जेल का अधिकारी या प्रबंधक। |
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जेलाटीन :
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स्त्री० [अं०] एक प्रकार का बढ़िया गंधहीन और पारदर्शक सरेस जो हलके पीले रंग का होता है और जिसका प्रयोग औषधों, छायाचित्रों और रासायनिक प्रक्रियाओं में होता है। |
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जेली :
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स्त्री० [हिं० जेरी] घास या भूसा इकट्ठा करने का एक उपकरण। पाँचा। |
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जेवड़ी :
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स्त्री०=जेवरी। |
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जेंवन :
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पुं० [हिं० जेवना] १. जीमने अर्थात् भोजन करने की क्रिया या भाव। २. खाने के लिए बनी या परोसी हुई सामग्री। भोज्य पदार्थ। |
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समानार्थी शब्द-
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जेंवना :
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स० [सं० जेमन] भोजन करना। जीमना। पुं०=जेंवन (भोज्या पदार्थ)। |
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समानार्थी शब्द-
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जेवना :
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स=जीमना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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जेंवनार :
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स्त्री०=ज्योनार। |
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समानार्थी शब्द-
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जेवनार :
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स्त्री० [हिं० जेवना] बहुत से लोगों का प्रायः किसी विशिष्ट अवसर पर एक साथ बैठकर खाना। प्रीतिभोज। दावत। |
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जेवर :
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पुं० [फा० ज़ेवर] आभूषण। गहना। पुं० [देश०] एक प्रकार का पक्षी। स्त्री० =जेवरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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जेवरा :
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पुं०=ज्योरा। पुं० [हिं० जेवरी] मोटा रस्सा। |
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जेवरात :
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पुं० [फा० ‘ज़ेवर’ का बहु० रूप] बहुत से आभूषण। |
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समानार्थी शब्द-
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जेवरी :
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स्त्री० [सं० जीवा] रस्सी। |
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समानार्थी शब्द-
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जेवाँ :
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पुं० [हिं० जेवना] भोजन। उदाहरण–बिनु ससि सूरहि भाव न जेवाँ।–जायसी। |
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जेंवाना :
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स० [हिं० जेंवना] अच्छी तरह से भोजन कराना। जिमाना। |
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जेष्ठ :
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पुं० [सं० ज्येष्ठ] जेठ या ज्येष्ठ मास। वि० अवस्था या वय में बड़ा। जेठा। पुं० जेठ (सभी अर्थों में)। |
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समानार्थी शब्द-
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जेष्ठा :
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स्त्री० [सं० ज्येष्ठा]=ज्येष्ठा। |
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समानार्थी शब्द-
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जेसिट-पतंग :
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पुं० [?] कपास की पत्तियों में लगनेवाला एक प्रकार का कीड़ा जिसके पर शरीर के दोनों ओर छप्पर की तरह लटके होते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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जेह :
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स्त्री० [सं० ज्या से फा० जिह=चिल्ला] १. धनुष की डोरी में का वह अंश जो खींचकर आँख के पास लाया जाता है तथा निशाने की सीध में रखा जाता है। चिल्ला। २. दीवार के नीचेवाले भाग में होनेवाला पलस्तर जो साधारणयतः कुछ अधिक मोटा होता है। क्रि० प्र०–उतारना।–निकालना। |
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समानार्थी शब्द-
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जेहड़ :
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स्त्री० [हिं० जेट+घट] एक के ऊपर एक करके रखे हुए जल से भरे घड़े। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जेहड़ि :
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अव्य० [?] १. ज्यों ही। २. जैसे ही। (डिं०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जेहन :
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पुं० [अ० जेहन] [वि० जहीन] समझने-बूझने की योग्यता या शक्ति। धारणा-शक्ति। बुद्धि। |
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समानार्थी शब्द-
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जेहनदार :
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वि०=जहीन (तीक्ष्ण बुद्धिवाला)। |
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समानार्थी शब्द-
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जेहर :
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स्त्री० [?] पैर में पहनने की पाजेब। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जेहरि :
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स्त्री०=जेहर। (पाजेब)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जेहल :
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स्त्री० [फा० जिहल] [वि० जेहली] १. बेवकूफी। मूर्खता। २. हठ। जिद। पुं० =जेल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जेहलखाना :
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पुं=जेलखाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जेहली :
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वि० [फा० जिहल] जो कोई बात समझाने-बुझाने पर जल्दी समझता हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जेहवा :
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क्रि० वि० [स्त्री० जेहवी]=जैसा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जेहा :
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क्रि० वि० [स्त्री० जेही]=जैसा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
जेहि :
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सर्व० [सं० यस्] १. जिसको। जिसे। २. जिससे।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |