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त्रि-सुपर्ण  : पुं० [सं० ब० स०] १. ऋग्वेद के तीन विशिष्ट मंत्रों की संज्ञा। २. यजुर्वेद के तीन विशिष्ट मंत्रों की संज्ञा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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