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पैंड़ा  : पुं० [हिं० पैंड़] १. वह दूरी या रास्ता जो कोई चलकर आया हो अथवा चलने को हो। मुहा०—पैंडा मारना=बहुत दूर तक पैदल चलते हुए जाना या कहीं पहुँचना। जैसे—तुम्हारे लिए ही हम इतनी दूर से पैंडा मार कर आये हैं। (किसी के) पैंड़े पड़ना=(क) किसी के कार्य या मार्ग में बाधक होना या बाधा खड़ी करना। (ख) तग या परेशान करना। २. नियत या नियमित रूप से कहीं आने-जाने की प्रथा। उदा०—राजों घर पैंडा मेरा, जल को होत अवेर। ३. प्रणाली। प्रथा। ४. पानी का घड़ा रखने का स्थान। ५. अस्तबल। घुड़साल।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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