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प्रश्न  : पुं० [सं०√प्रच्छ (पूछना)+नङ्] १. वह बात जिसका उत्तर अभीष्ट हो या दिया जाता हो। जैसे—गणित का प्रश्न। २. वह बात जिसका उत्तर किसी से माँगा गया हो। ३. किसी से पूछी जानेवाली ऐसी गंभीर या गूढ़ बात जिसका स्पष्टीकरण सब लोग सहज में न कर सकते हों। सवाल। ४. कोई ऐसा विषय जिस पर अच्छी तरह अनुसंधान, मनन, विचार अथवा निर्णय करने की आवश्यकता हो। समस्या। सवाल। (क्वेश्चन, उक्त सभी अर्थो में) ५. न्यायालय में, उपस्थित वाद के संबंध की विचारणीय बात या बातें। ६.. न्यायालय आदि के द्वारा होनेवाला अनुसंधान या जाँच-पड़ताल। ७. उपनिषद् का नाम।
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प्रश्न-विवाक  : पुं० [सं० ष० त०] १. वैदिक काल के विद्वानों का एक भेद जो भावी घटनाओं के विषय में प्रश्नों का उत्तर दिया करते थे। २. सरपंच। पंच।
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प्रश्नचिह्न  : पुं० [सं० ष० त०] १. छपाई, लेखन आदि में, प्रश्नात्मक वाक्यों के अन्त में लगाया जानेवाला विराम चिह्न। इसका रूप यह है—(नोट ऑफ इन्टेरोगेशन) जैसे—‘क्या वह चला गया ?’ २. लाक्षणिक अर्थ में ऐसी विकट समस्या जिसके निदान के संबंध में कुछ सूझ न रहा हो।
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प्रश्नावली  : स्त्री० [सं० प्रश्न—आवली, ष० त०] १. प्रश्नों की सूची। २. किसी विषय में सम्बन्ध रखनेवाले प्रश्नों की वह सूची जो आधिकारक रूप से किसी बात की जाँच करने, आँखड़े प्राप्त करने अथवा कुछ अभिमत प्राप्त करने के लिए संबद्ध लोगों के पास भेजी जाती है। (क्वेश्चनेयर)
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प्रश्नी (शिन्)  : वि० [सं० प्रश्न+इनि] प्रश्न-कर्ता।
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प्रश्नोत्तर  : पुं० [सं० प्रश्न-उत्तर, द्व० स०] १. प्रश्न और उसका उत्तर। सवाल और जवाब। २. पूछ-ताछ। ३. साहित्य में उत्तर नामक अर्थालंकार का एक भेद जिसमें कुछ प्रश्न और उनके उत्तर रहते हैं।
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प्रश्नोत्तरी  : स्त्री० [सं० प्रश्नोत्तर+अच्+ङीष्] किसी विषय से सम्बन्ध रखनेवाले प्रश्नों और उनके उत्तरों का संग्रह। विशेषतः ऐसा संग्रह जिसमें कुछ प्रश्न और उनके उत्तर देकर उस विषय का स्वरूप स्पष्ट किया जाता है। (कैटेकिज्म)
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प्रश्नोपनिषद्  : स्त्री० [सं० प्रश्न-उपनिषद्, मध्य० स०] अथर्ववेद की एक उपनिषद्।
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