शब्द का अर्थ
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					बाँक					 :
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					स्त्री० [सं० बंक०] १. टेढ़ापन। वक्रता। २. घुमाव या मोड़ जैसे—नदी की बाँक। ३. हाथ में पहनने की एक प्रकार की चूड़ी। ४. पैरों में पहनने का चाँदी का एक प्रकार का गहना। ५. बाँह पर का गहना। ६. बाँह पर पहनने का एक प्रकार का गहना। ७. लोहारों का वह शिकंजा जिसमें वे चीजों को कसकर रखते हैं। ८. गन्ना छीलने का सरौते के आकार का एक उपकरण। ९. एक प्रकार की टेढ़ी-बड़ी छुरी या कटारी। १॰. उक्त छुरी या कटारी चलाने का कौशल या विद्या। ११. उक्त कौशल या विद्या सीखने के लिए किया जानेवाला अभ्यास। वि० १. घुमावदार। टेड़ा। वक्र। २. दे० ‘बाँका’। स्त्री० [देश०] एक प्रकार की घास। पुं० [?] जहाज के ढांचे में वह शहतीर जो खड़े बल में लगाया जाता है।				 | 
			
			
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					बाँक-डोरी					 :
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					स्त्री० [हिं० बाँक] एक प्रकार का शस्त्र।				 | 
			
			
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					बाँकड़ा					 :
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					पुं० [सं० बंक] छकड़े की आँक की वह लकड़ी जो धुरे के नीचे आड़े बल लगी रहती है। वि०=बाँकुड़ा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					बाँकनल					 :
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					पं० [सं० बंकनाल] सुनारों काएक औजार जिससे फूँक मारकर टाँका लगाते हैं।				 | 
			
			
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					बाँकना					 :
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					स० [सं० बंक] टेढ़ा करना। अ० टेढ़ा होना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					बाँकपन					 :
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					पुं० [हिं० बाँका+पन (प्रत्यय)] १. टेढ़ापन। तिरछापन। २. बाँका होने की अवस्था या भाव। ३. बनावट रचना या रूप की अनोखी सुन्दरता।				 | 
			
			
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					बाँका					 :
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					वि० [सं० बंक] [स्त्री० बाँकी] १. टेढ़ा। तिरछा। २. जिसमें बहुत ही अनोखा माधुर्य और सौन्दर्य हो। जैसे—बाँकी अदा। ३. (व्यक्ति) जिसकी चाल-ढाल, वेष-भूषा, सज-धज आदि में अनोखा सौन्दर्य हो। जैसे—बाँका जवान। ४. छैला। ५. बहादुर और हिम्मतवार। वीर और साहसी। जैसे—बाँका सिपाही। ६. विकट। बीहड़। (राज० ) पुं० १. लोहे का बना हुआ एक प्रकार का हथियार जो टेढ़ा होता है। २. वह गुंड़ा या बदमाश अपने पास उक्त शस्त्र रखता हो। ३. सदा बना-ठना रहनेवाला बदमाश या लुच्चा। गुंडा। (लखनऊ) ४. बारातों आदि में अथवा किसी जुलूस में वह बालक या युवक जिसे खूब सुन्दर और अलंकार आदि से सजाकर तथा घोड़े या पालकी में बैठाकर शोभा के लिए निकाला जाता है। ५. धान की फसल को नुकसान पहुँचानेवाला एक प्रकार का कीड़ा।				 | 
			
			
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					बाँकिया					 :
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					पुं० [सं० बंक=टेढ़ा] १. नरसिंहा नाम का बाजा जो आकार में कुछ टेढ़ा होता है। २. रथ के पहिए की आगे की वह टेढ़ी लकड़ी जिस पर उसकी धुरी टिकी रहती है।				 | 
			
			
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					बाँकी					 :
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					पुं० [हिं० बाँका] बाँस को काटकर खपचियाँ, तीलियाँ आदि बनाने का एक प्रकार का उपकरण। वि० स्त्री०=बाकी।				 | 
			
			
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					बाँकुड़					 :
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					वि० [स्त्री० बाँकुड़ी]=बाँकुरा।				 | 
			
			
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					बाँकुड़ी					 :
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					स्त्री० [सं० बंक+हिं० ड़ी] कलाबत्तू या बादाले की बनी हुई वह पतली डोरी या फीता जो साड़ियों आदि के किनारों पर शोभा के लिए लगाया जाता है।				 | 
			
			
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					बाँकुर					 :
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					वि० [हिं० बाँका] १. बाँका। टेढ़ा। २. नुकीला। पैना। ३. चतुर। होशियार।				 | 
			
			
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					बाँकुरा					 :
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					वि० [हिं० बाँका] १. बाँका। टेढ़ा। २. तेज धार का। ३. कुशल। चतुर।				 | 
			
			
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