शब्द का अर्थ
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मढ़ :
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वि० [हिं० मढ़ना] १. अड़कर बैठनेवाला। २. जल्दी अपनी जगह से न हिलनेवाला। ३. मूढ़। पुं०=मठ। उदा०—काकर घर, काकर मढ़ माया।—जायसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मढ़ना :
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स० [सं० मंडन] [भाव० मढ़ाई] १. कोई चीज किसी दूसरी चीज पर चिपकाना, जड़ना, लगाना या सटाना। जैसे—किताब पर जिल्द या दीवार पर कागज मढ़ना। २. बहुत से गहनों से किसी को लादना। जैसे—आभूषणों से सुंदरी मढ़ी हुई थी। ३. कोई काम या बात बलपूर्वक किसी के जिम्मे लगाना। जैसे—किसी के सिर कोई काम मढ़ना। ४. व्यर्थ किसी के सिर कोई अपराध या दोष आरोपित करना। जैसे—काम तो तुमने बिगाड़ा, और कलंक मेरे सिर मढ़ रहे हो। क्रि० प्र०—डालना।—देना। अ० (काम या बात) आरंभ होना। अ०=मंडलाना। जैसे—आकाश में बादल मढ़ आये हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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मढ़वाई :
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स्त्री० [हिं० मढ़वाना] मढ़वाने का कार्य तथा पारिश्रमिक। |
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मढ़वाना :
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स० [हिं० मढ़ना का प्रे०] [भाव० मढ़वाई] मढ़ने का काम दूसरे से कराना। |
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मढ़ा :
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पुं० [हिं० मढ़ी] १. मिट्टी का बना हुआ छोटा घर। बड़ी मढ़ी। २. दे० ‘मढ़ा’। |
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मढ़ाई :
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स्त्री० [हिं० मढ़ना] मढ़ने की क्रिया, भाव या पारिश्रमिक। |
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मढ़ाना :
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स०=मढ़वाना। |
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मढ़ी :
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स्त्री० [सं० मठ] १. छोटा मठ। २. छोटा देवालय या मंदिर। ३. कुटिया। झोंपड़ी। ४. छोटा मंडप। ५. किसी संन्यासी के समाधि स्थल के समीप बनी हुई कुटिया। |
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मढ़ैया :
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वि० [हिं० मढ़ना+ऐया (प्रत्य०)] मढ़नेवाला। स्त्री०=मढ़ी। |
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