शब्द का अर्थ
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मसाल :
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स्त्री० १. =मशाल। २. =मिशाल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मसाल-दुम्मा :
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पुं० [हिं० मशाल+दुम] एक प्रकार का पक्षी जिसकी दुम काली होती है। |
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मसालची :
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पुं० [हिं० मसाला+ची (प्रत्यय)] वह जो वाबर्चीखानों आदि में मिर्च-मसाले पीसने तथा इसी तरह के छोटे-मोटे काम करता हो। पुं० =मशालची। |
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मसालहत :
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स्त्री० [अ०] १. मेल-मिलाप। २. सुलह। २. समझौता। |
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मसाला :
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पुं० [फा० मसालह] १. चीजें जिनकी सहायता से कोई चीज तैयार होती हो। सामग्री। जैसे—किताब लिखने या मुकदमा चलाने के लिए ढूँढ़-ढूँढ़कर मसाला इकट्ठा करना। २. औषधियों, रासायनिक द्रव्यों आदि का तैयार किया हुआ वह मिश्रण जिसका उपयोग किसी विशिष्ट कार्य के लिए होता है। जैसे—पान का मसाला, मकान बनाने का मसाला (गारा, चूना आदि) ३. धनियाँ, मिर्च, लौंग, हींग आदि वे पदार्थ जिनका उपयोग दाल, तरकारी आदि को सुगंधित और स्वादिष्ट करने में होता है। ४. सलमा-सितारे बाँकड़ी, गोखरू आदि चीजें जो कपड़ों पर शोभा के लिए बेल-बूटों आदि के रूप टाँकी जाती है। जैसे—अँगिया, ओढ़नी, साड़ी आदि में लगाया जानेवाला मसाला। ५. किसी काम य बात का आधार-भूत साधन। जैसे—लोगों को दिल्लगी उड़ाने का अच्छा मसाला मिल गया। ६. आतिशबाजी जो कई तरह के मसालों से बनती है। ७. युवती और सुन्दरी परन्तु दुश्चरित्रा स्त्री। (बाजारू)। ८. मंगल-भाषित रूप में तेल। जैसे—लालटेन का मसाला खत्म हो गया है, लेते आना। विशेष—प्रायः किसी के चलते समय तेल का नाम लेना अशुभ समझा जाता है, इसीलिए प्रायः स्त्रियाँ इसे मसाला कहती हैं। |
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मसाली :
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स्त्री० [?] रस्सी। डोरी। (लश०)। |
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मसाले का तेल :
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पुं० [हि० मसाला+तेल] एक प्रकार का सुंगधित तेल जो साधारण तिल के तेल में कपूर, कचरी, बाल-छड़ आदि मिलाकर बनाया जाता है। |
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मसालेदार :
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वि० [हिं० मसाला+फा० दार] १. जिसमें मसाला पड़ा हुआ हो। जैसे—मसालेदार चना, मसालेदार तरकारी। २. झगड़ा आदि लगाने अथवा किसी को प्रसन्न करने के लिए बना-सँवार कर अथवा बढ़ा-चढ़ाकर किया जानेवाला (कथन या बात)। |
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