शब्द का अर्थ
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समाँ :
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पुं० [सं० समय] १. समय। वक्त। मुहावरा—समाँ बँधना= (संगीत आदि कार्यो का) इतनी उत्तमता से सम्पन्न होता रहना कि सभी उपस्थित लोग स्तब्ध हो जायँ, और ऐसा जान पड़े कि मानो समय भी उसका आनंद लेने के लिए ठहर या रुक गया है। विशेष—आशय यही है कि लोगों को यह पता नहीं चलने पाता कि इतना अधिक समय कैसे बीत गया। २. ऋतु। ३. जमाना। युग। जैसा—आज-कल ऐसा समाँ आ गया है कि कोई किसी को नहीं सुनता। ४. अवसर। मौका। ५. सुंदर और सुहावना दृश्य। उदाहरण—अजब गंगा के बहने का समां है।—नजीर। बनारसी। |
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समानार्थी शब्द-
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समा :
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स्त्री० [सं०] १. वर्ष। साल। उदाहरण—राका राज जरा सारा मास मास समा समा।—केशव। २. गीष्म ऋतु वि० सं० ‘सम’ का स्त्री०। जैसा—कामिनी समा=कामिनी के समान। पुं० दे० ‘समाँ’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समाअत :
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स्त्री० [अं०] १. सुनने की क्रिया या भाव। २. ध्यान देने या विचार करने के लिए अवधानपूर्वक सुनने की क्रिया या भाव। जैसा—फरियाद की समाअत, मुकदमे की समाअत। |
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समाई :
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स्त्री० [हि० समान+आई (प्रत्यय)] १. समाने की अवस्था, क्रिया या भाव। २. वह अवकाश जिसमें कोई चीज समाती हो। जैसा—इस घर में पंद्रह आदमियों की समाई नहीं हो सकती। ३. धारण करने की गुंजाइश तथा समर्थता। जैसा—जिसकी जितनी समाई होगी, वह उतना ही खरच करेगा। |
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समाउ :
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पुं०=समाई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समाकर्षण :
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पुं० [सं०] [भू० कृ० समाकर्षित, समाकृष्ट] विशेष रूप से होनेवाला आकर्षण। खिंचाव। |
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समाकलन :
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पुं० [सं०] [भू० कृ० समाकलित] एक ही तरह की बहुत सी इकट्ठी की हुई चीजों का मिलान करके देखना कि उनका क्रम या व्यवस्था ठीक है या नहीं (कोल्लेशन)। |
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समाकार :
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वि० [सं० कर्म० स०] जो आकार के विचार से आपस में समान हो। |
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समाकुल :
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वि० [सं० सम-आ√ कुल् (बन्धु आदि)+अच्] बहुत अधिक आकुल या घबराया हुआ। |
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समाक्षार :
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पुं० [सं०] उन पदार्थों का वर्ग या समूह जो किसी अम्ल या खट्टे पदार्थ के साथ मिलकर लवण और जल बनाते हैं। |
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समाख्या :
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स्त्री० [सं० सम-आ+ख्या (ख्यात होना)+अङ्] १. यश। कीर्ति। २. आख्या। नाम। संज्ञा। |
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समांग :
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वि० [सं० सम+अंग] जिसके सब अंग या तत्त्व एक से अथवा एक ही प्रकार के हों। विषमांग का विपर्याय। (होमोजीनियस)। |
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समागत :
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भू० कृ० [सं०] १. आया हुआ। जैसा—समागत अतिथि। २. जो आकर सामने उपस्थित या घटित हुआ हो। जैसा—समागत परिस्थिति, समागत प्रसंग। |
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समागता :
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स्त्री० [सं० समागत-टाप्] एक तरह की पहेली जिसका अर्थ पदों का सन्धि-विच्छेद करने पर निकलता है। |
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समागति :
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स्त्री० [सं० सम-आगम् (जाना)+क्तिन्] १. समागत होने की अवस्था या भाव। आगमन। २. आकर मिलना। योग। |
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समागम :
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पुं० [सं०] १. पास या सामने आना। पहुँचना। २. बहुत से लोगों का एक स्थान पर एकत्र होना। जैसा—संतों का या साहित्यकारों का समागम। ३. स्त्री-प्रसंग। संभोग। मैथुन। |
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समाघात :
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पुं० [सं० सम-आ√ हन् (मारना)+घञ्, कुत्व, न=त] १. युद्ध। लड़ाई। २. वध। हत्या। |
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समाचरण :
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पुं० [सं०] [भू० कृ० समाचरित] १. अच्छा, ठीक या शुद्ध आचरण। २. कार्य या व्यवहार करना। आचरण। ३. कार्य का सम्पादन। |
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समाचरना :
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स० [सं० समाचरण] (किसी का) आचरण या व्यवहार करना। अ० १. आचरण या व्यवहार के रुप में होना २. व्याप्त या संचरित होना। उदाहरण—(क) ऐसी बुधि समचरी घर मांहि तिआही।—कबीर। (ख) समाचेर उसको मेरा ही सोदर निस्संकोच अहो।—मैथिलीशरण। |
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समाचार :
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पुं० [सं०] १. आगे बढ़ना। चलना। २. अच्छा आचरण या व्यवहार। ३. (मध्य और परवर्ती काल में) किसी कार्य या व्यापार की सूचना। उदाहरण—समाचार मिथिलापति लाए।—तुलसी। ४. ऐसी, ताजी या हाल की घटना की सूचना जिसके संबंध में पहले लोगों को जानकारी न हो। (न्यूज) ५. हाल-चाल। ६. कुशल मंगल। |
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समाचार-पत्र :
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पुं० [सं० ष० त० समाचार+पत्र] १. नियमित समय पर प्रकाशित होनेवाला वह पत्र जिसमें अनेक प्रदेशों, राष्ट्रों, आदि से संबंधित समाचार रहते हों। खबर का कागज। अखबार (न्यूज पेपर) २. उक्त प्रकार के सभी पत्रों का वर्ग या समूह। |
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समाच्छन्न :
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वि० [सं०] ऊपर या चारों ओर से पूरी तरह छाया या ढका हुआ। |
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समाच्छादन :
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पुं० [सं०] [भू० कृ० समाच्छादित] ऊपर या चारों ओर से अच्छी तरह छाया या ढका हुआ। |
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समाज :
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पुं० [सं०] १. बहुत से लोगों का गिरोह या झुंड। समूह। जैसा—सत्संग समाज। २. एक जगह रहनेवाले अथवा एक ही प्रकार का काम करनेवाले लोगों का वर्ग, दल या समूह। समुदाय। ३. किसी विशिष्ट उद्देश्य से स्थापित की हुई सभा। जैसा—आर्य समाज, संगीत समाज। ४. किसी प्रदेश या भूखंड में रहनेवाले लोग जिनमें सांस्कृतिक एकता होती है। ५. किसी संप्रदाय के लोगों का समुदाय। जैसा—अग्रवाल समाज (सोसाइटी, उक्त सभी अर्थों में)। ६. प्राचीन भारत का समज्या (देखें) नामक सार्वजनिक उत्सव। ७. आयोजन। तैयारी। उदाहरण—बेगि करहु बन गवन समाजू।—तुलसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समाज-शास्त्र :
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पुं० [सं०] वह आधुनिक शास्त्र जिमसें मनुष्य को सामाजिक, प्राणी मानकर उनके समाज और संस्कृति की उत्पत्ति, विकास संघटन और समस्याओं आदि का विवेचन होता है। (सोशियालॉजी) |
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समाज-शास्त्री :
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पुं० [सं०] वह जो समाज-शास्त्र का अच्छा ज्ञाता हो। |
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समाज-सुधार :
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पुं० [सं०] मानव समाज अथवा किसी देश में रहनेवाले समाज में फैली हुई कुरीतियाँ, दुर्गु, दोष आदि दूर करके उन्हें सुधारने का प्रयत्न। (सोशल रिफार्म)। |
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समाज-सुधारक :
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पुं० [सं०] वह जो मानव समाज के दुर्गुणों, दोषों आदि को दूर करने का प्रयत्न करता हो। (सोशल रिफार्मर)। |
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समाजत :
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स्त्री० [अं०] १. शरमिन्दगी। लज्जा। २. विनय। ३. निवेदन। प्रार्थना। |
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समांजन :
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पुं० [सं०] सुश्रुत के अनुसार आँखों में लगाने का एक प्रकार का अंजन। |
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समाजवाद :
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पुं० [सं०] वह आर्थिक तथा राजनीतिक विचार-प्रणाली तथा सत्ता तथा स्वामित्व हाथों में नही रहना चाहिए, बल्कि समष्टिक या सामूहिक रूप से समाज में निहित रहना चाहिए। (सोशलिज्म)। विशेष—समाजवाद प्रतिस्पर्धा के स्थान पर सहकारिता को मुनाफा खोरी के स्थान पर लोकहित तथा समाज सेवा की भावना को प्रधानता देना चाहता है, और धन के वितरण में आज जैसी विषमता है उसे बहुत कुछ कम करना चाहता है। |
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समाजवादी :
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वि० [सं०] समाजवाद संबधी। समाजवाद का। पुं० वह जो समाजवाद का अनुयायी या समर्थक हो। (सोशलिस्ट) |
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समाजशील :
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वि० [सं०] समाज के सदस्यों अर्थात् लोगों से बराबर मिलता-जुलता रहनेवाला (सोशिअल)। |
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समाजी :
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वि० [सं० समाज] समाज सम्बन्धी। समाज का। पुं० वह जो वेश्याओं, गाने-बजानेवाल मंडलियों आदि के साथ रहकर तबला, सारंगी या ऐसा ही और कोई साज बजाता हो। साजिन्दा। पुं०=आर्य-समाजी। |
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समाजीकरण :
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पुं० [सं०] किसी काम बात या व्यवहार को ऐसा रूप देना कि उस पर समाज का अधिकार या स्थापत्य हो जाय और सब लोग समान रूप से उसका लाभ उठा सकें (सोशलाइज़ेशन)। |
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समाज्ञप्त :
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वि० [सं० सम-आ√ज्ञप् (बताना)+क्त] जिसे समाज्ञा दी गई हो या मिली हो। |
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समाज्ञा :
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स्त्री० [सं०] १. आज्ञा। आदेश। २. नाम। संज्ञा। ३. कीर्ति। यश। |
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समाँण :
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पुं० [सं०] १. श्मशान। २. शव (राज०)। वि०=मसान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समांत :
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पुं० [सं० ष० त०] १. वर्ष का अन्त। २. पड़ोसी। |
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समांतक :
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पुं० [सं० समांत+कन्] कामदेव। |
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समाता (तृ) :
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स्त्री० [सं० ष० त०] ऐसी स्त्री जो माता के समान हो। २. सौतेली माँ। विमाता। |
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समातृक :
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वि० [सं०] [स्त्री० समातृका] जिसके साथ उसकी माता भी हो। अव्य० माता के साथ। |
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समातृका :
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वि० स्त्री० [सं०] (वेश्या) जो किसी खाला या वृद्धा कुटनी के साथ और उसकी देख-रेख में रहती हो। |
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समादर :
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पुं० [सं० सम-आ√दृ (आदर करना)+अप्] अच्छा और उचित आदर। सम्मान। खातिर। |
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समादरणीय :
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वि० [सं० सम-आ√दृ (आदर करना)+अनीयर्] जिसका समादर करना आवश्यक और उचित हो। समादर का अधिकारी या पात्र। |
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समादान :
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पुं० [सं० सम-आ√दा (देना)+ल्युट-अन] १. पूरी तरह से ग्रहण या प्राप्त करना। २. उपयुक्त उपहार, भेट आदि ग्रहण करना। ३.बौद्धों का सौगताह्रिक नामक नित्य कर्म। ४. जैनों में ग्रहण किये हुए आचारों, व्रतों आदि की अवज्ञा या उपेक्षा। ५. निश्चय। |
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समादिष्ट :
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भू० कृ० [सं०] १. नियोजित। २. निर्दिष्ट। |
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समादृत :
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वि० [सं० सम-आ√दृ (आदर करना)+क्त] जिसका अच्छी तरह आदर हुआ हो। सम्मानित। |
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समादेय :
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पुं० [सं०] [भू० कृ० समादिष्ट] १. अधिकारपूर्वक किसी को कोई काम करने का आदेश या आज्ञा देना। २. इस प्रकार दिया हुआ आदेश या आज्ञा। (कमांड) ३. निषेधाज्ञा। व्यादेश। |
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समादेश याचिका :
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स्त्री० [सं०] विधिक क्षेत्र में, वह याचिका या प्रार्थनापत्र जो उच्च न्यायालय में इस उद्देश्य से उपस्थित किया जाता है कि कोई राजनीति या विधिक आदेश कार्यान्वित होने से तब तक के लिए रोक दिया जाय जब तक उच्च न्यायालय में उसके औचित्य का निर्णय न हो जाय। परमादेश। (रिट ऑफ मैन्डमस)। |
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समादेशक :
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पुं० [सं०] १. वह जो किसी को कोई काम करने का आदेश दे। २. वह प्रधान सैनिक अधिकारी जिसके आदेश से सेना के सब काम होते हैं (कमांडर)। |
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समाध :
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स्त्री०=समाधि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समाधा :
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पुं० [सं० सम-आ√धा (रखना)+अङ्] १. निकारण। निपटारा। २. विरोध दूर करा। ३. सिद्धान्त। ४. दे० ‘समाधान’। |
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समाधान :
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पुं० [सं० सम-आ√धृ (रखना)+ल्युट-अन] [वि० समाधनीय] १. एक ही आधान या स्थल पर रखना। २. मन को सब ओर से हटाकर एकाग्र करना और ब्रह्म में लीन करना। ३. संशय दूर करना। ४. आपत्ति की निवृत्ति करना। ५. समस्या का निराकरण करना। ६. असंगति भ्रांति विरोध आदि दूर करना। ७. नियम। ८. वह युक्ति या योजना जिसके द्वारा समस्या हल की जाती हो। ९. तपस्या। १॰. अनुसंधान। अन्वेषण। ११. किसी के कथन या मत की पुष्टि। समर्थन। १२. ध्यान। १३. नाटक की मुख्य संधि के १२ अंगों में से एक अंग जिसमें बीज ऐसे रूप में फिर से प्रदर्सित किया जाता है कि वह नायक अथवा नायिका का अभिमत प्रतीत होता है। |
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समाधानना :
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स [सं० समाधान] १. किसी का समाधान करना। संशय दूर करना। २. सान्त्वना देना। |
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समाधि :
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स्त्री० [सं०] १. ईश्वर के ध्यान में मग्न होना। २. योग साधना का चरम, फल जिसमें मनुष्य सब क्लेशों से मुक्त होकर अनेक प्रकार की शक्तियाँ प्राप्त करता है। यह चार प्रकार की कही गई है। संप्रज्ञात, सवितर्क, सविचार और सानन्द। क्रि० प्र०—लगना।—लगाना। ३. वह स्थान जहाँ किसी का मृत शरीर या अस्थियाँ गाड़ी गई हों। ४. प्राणियों की वह अवस्था जिसमें उनकी संज्ञा या चेतना नष्ट हो जाती है और वे कोई शारीरिक क्रिया नहीं करते। ५. साहित्य में एक अलंकार जिसमें किसी आकस्मिक कारण से सहायता मिलने पर किसी के कार्य में सुगमता होने का उल्लेख मिलता है। इसे ‘समाहित’ भी कहते हैं। ६. साहित्य में काव्य का एक गुण जिसके द्वारा दो घटनाओं का दैव संयोग से एक ही समय में होना प्रकट होता है और जिसके ही क्रिया का दोनों कर्ताओं के साथ अन्वय होता है। ७. किसी असंभव या असाध्य कार्य के लिए किया जानेवाला प्रयत्न। ८. किसी कष्टसाध्य काम के लिए मन एकाग्र करना। ९. झगड़े या विवाद का अंत या समाप्ति करना। १॰. चुप्पी। मौन। ११. समर्थन। १२. नियम। १३.ग्रहण या अंगीकृत करना। १४. आरोप। १५. प्रतिज्ञा। १६. बदला चुकाना। प्रतिशोध। १७, निद्रा। नींद। स्त्री०=समाधान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) (क्व)। उदाहरण—व्याधि भूत जनित उपाधि काहू खल की समाधि कीजै तुलसी को जानि जन फुरकै।—तुलसी। |
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समानार्थी शब्द-
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समाधि-क्षेत्र :
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पुं० [सं० ष० त०] १. वह स्थान जहाँ योगियों के मृत शरीर गाड़े जाते हों। २. मुरदे गाड़ने की जगह। कब्रिस्तान। |
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समानार्थी शब्द-
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समाधि-लेख :
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पुं० [सं०] वह लेख जो किसी मृत व्यक्ति का संक्षिप्त परिचय कराने के लिए उसकी समाधि या कब्र पर लिखा या अंकित किया रहता है (एपिटैफ़)। |
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समानार्थी शब्द-
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समाधि-स्थल :
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पुं० [सं० ष० त०] ‘समाधि-क्षेत्र’। |
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समानार्थी शब्द-
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समाधित :
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भू० कृ० [सं० सम-आ√धा (रखना)+क्त] जिसने समाधि लगाई हो। समाधि की अवस्था को प्राप्त। |
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समानार्थी शब्द-
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समाधित्व :
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पुं० [सं० समाधि-त्व] समाधि का गुण, धर्म या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
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समाधिदशा :
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स्त्री० [सं० ष० त०] योग में वह दशा जब योगी समाधि में स्थित होता और तन्मय होकर परमात्मा में लीन हो जाता और चारों ओर ब्रह्म ही ब्रह्म देखता है। |
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समानार्थी शब्द-
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समाधिस्थ :
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वि० [सं० समाधि√स्था (ठहरना)+क] जो समाधि में स्थित हो। जो समाधि लगाये हुए हों। |
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समानार्थी शब्द-
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समाधी (धिन्) :
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वि० [सं० समाधि+इनि] समाधिस्थ। स्त्री०=समाधि। |
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समानार्थी शब्द-
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समाधेय :
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वि० [सं० सम-आ√धा (रखना)+यत्] जिसका समाधान हो सके या होने को हो। |
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समानार्थी शब्द-
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समान :
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वि० [सं०] [भाव० समानता] १. गुण, मूल्य, महत्व आदि से विचार के से किसी के अनुरूप या बराबरी का। बराबर। तुल्य। (ईक्वल) जैसा—दोनों बातें समान हैं। २. आकार, प्रकार रूप आदि के विचार किसी की तरह का। सदृश। (मिसिलर)।—जैसा—ये दोनों गहने समान है। विशेष-सदृश, समान और तुल्य का अंतर जानने के लिए दे० सदृश का विशेष। पद—एक समान=एक ही जैसे। बराबर। समान वर्ण=ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण एक ही स्थान से होता हो। जैसा—क,ख,ग,घ,समान वर्ण है। पुं० १. सत्। २. शरीर से नाभि के पास रहनेवाली एक वायु। स्त्री०=समानता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समान-कालीन :
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वि०=समकालीन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समान-गोत्र :
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पुं० [सं०] सगोत्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समान-तंत्र :
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पुं० [सं०] १. सम-व्यवसायी। हमपेशा। २. बेद की किसी एक शाखा का अध्ययन करने तथा उनके अनुसार यज्ञ आदि करनेवाले व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समानक :
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वि० [सं०] १. =समान। २. =समानार्थक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समानता :
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स्त्री० [सं० समान+तल्-टाप्] १. समान होने की अवस्था या भाव। तुल्यता। बराबरी। जैसा—इन दोनों में बहुत कुछ समानता है। २. वह गुण, तत्व या बात जो दो या अधिक वस्तुओं आदि में समान रूप से हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समानत्व :
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पुं० [सं० समान+त्व]=समानता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समाननाम :
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पुं० [सं० समाननामन्] ऐसे व्यक्ति जिनके नाम एक से हों। एक ही नामवाले। नाम-रासी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समानयन :
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पुं० [सं० सम-आ√नी (ढोना)+ल्युट—अन] [भू० कृ० समानीत] अच्छी तरह अथवा आदरपूर्वक ले आने की क्रिया। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समानर्ष :
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पुं० [सं० ब० स०] वे जो एक ही ऋषि के गोत्र या वंश में उत्पन्न हुए हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समानस्थान :
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पुं० [सं०] १. मध्यवर्ती स्थान। २. भूगोल में वह स्थान जहाँ दिन-रात बराबर हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समाना :
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अ० [सं० समावेशन] १. अंदर आना। भरना। अटना। जैसा—इस घड़े में २॰ सेर पानी समाता है। २. व्याप्त होना। जैसा—दिल में भय समाना। ३. कहीं से चलकर आना। पहुँचना। स० अंदर करना। भरना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समानाधिकरण :
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पुं० [सं० ब० स०] १. समान आधार। २. व्याकरण में वे दो शब्द या पद जो एक ही कारक की विभक्ति से युक्त हों। जैसा—राजा दशरथ के पुत्र राम कोवनवास मिला, यहाँ राजा दशरथ के पुत्र पद राम का समानाधिकरण है क्योंकि को विभक्ति समान रूप से उक्त दोनों पक्षो में लगती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समानाधिकार :
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पुं० [सं० कर्म० स०] १. जातीय, गुण, धर्म या विशेषता। २. बराबर का अधिकार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समानार्थ :
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पुं० [सं० ब० स०] वे शब्द आदि जिनका अर्थ एक ही हो। पर्याय (सिनॉनिम्)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समानार्थक :
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वि० [सं० ब० स०] (किसी शब्द के) समान अर्थ रखनेवाला। (दूसरा शब्द) पर्यायवाची (सिनॉनिमस)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समानार्थी :
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वि० [सं०]=समार्थनाक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समानिका :
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स्त्री० [सं०] एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में क्रम से रगण, जगण और एक गुरु होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समानी :
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स्त्री०=समानिका। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समानुपात :
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पुं० [सं० सम-अनुपात] [वि० समानुपातिक] किसी वस्तु के भिन्न-भिन्न अंगों में होनेवाला वह तुलनात्मक संबंध जो आकार, प्रकार, विस्तार आदि के विचार से स्थिर होता है और जिससे उन सब अंगों में संगति, सामंजस्य स्वरूपता जाती है। (प्रोपोर्शन)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समानुपातिक :
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वि० [सं०] समानुपात की दृष्टि से ऐसे लोग जिनकी ग्यारहवीं से चौदहवीं पीढ़ी तक के पूर्वज एक हों। वि० साथ-साथ तर्पण करनेवाले। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समानोपमा :
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स्त्री० [सं० मध्यम० स०] उपमा अलंकार का एक प्रकार जिसमें उच्चारण की दृष्टि से एक ही शब्द भिन्न प्रकार से खंड करने पर भिन्न अर्थों का द्योतक होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समापक :
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वि० [सं० सम√आप् (प्राप्त होना)+ण्वुल्-अक] समापन पर करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समापत :
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वि०=समाप्त।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समापति :
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स्त्री० [सं०] १. बहुतों का एक ही समय में और एक ही स्थान पर उपस्थित होना। मिलना। २. भेंट। मिलन। ३. अवसर। मौका। ४. योग में ध्यान का एक अंग। ५. अन्त। समाप्ति। ६. आजकल दंगा, दुर्घटना, युद्ध आदि के कारण लोगों के प्राणों या शरीर पर आनेवाला संकट (कैज़ुएलटी)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समापन :
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पुं० [सं०] १. समाप्त करने की क्रिया या भाव। पूरा करना। (डिस्पोज़ल)। २. विचार, विवाद आदि का अन्त करने के लिए कोई विशेष बात कहना। (बाइडिंग अप) ३. मार डालना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समापनीय :
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वि० [सं० सम√अप् (प्राप्त होना+अनीयर्] १. जिसकी समापन होने को हो अथवा होना उचित हो। समाप्त किये जाने के योग्य। २. मारे जाने के योग्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समापन्न :
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भू० कृ० [सं० सम-आ√पद् (गमनादि)+क] १. प्राप्त किया हुआ। २. घटना के रूप में आया हुआ। घटित। ३. पहुँचा हुआ। ४. पूरा किया हुआ। ५. दुःखी। ६. मृत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समापवर्तक :
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वि० [सं०] समावर्तन करनेवाला। पुं० गणित में, वह राशि जिससे दो या अधिक राशियों को अलग-अलग भाग देने पर कुछ शेष न बचें। (काँमन फैक्टर) जैसा—यदि २४, ३६ या ४८ को १२ से भाग दिया जाय तो शेष कुछ नहीं बचता। अतः १२ उक्त तीनों राशियों का समापवर्तक है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समापवर्तन :
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पुं० [सं० सम-अपर्वतन] गणित में वह क्रिया जिससे राशियों या संज्ञाओं का अपवर्तन करके उनका समापवर्तक निकाला जाता है (दे० ‘अपवर्तन’ और ‘समापर्वतन’)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समापिका क्रिया :
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स्त्री० [सं०] व्याकरण में वाक्य के अंतर्गत अपने स्थान के विचार से क्रिया के दो भेदों में से एक, वह पूर्ण क्रिया जिसका काल किसी दूसरी अपूर्ण क्रिया के काल के बाद आता है और जिससे किसी कार्य की समाप्ति सूचित होती है। जैसा—वह घर जाकर बैठ रहा। में बैठ रहा समापिका क्रिया है, क्योंकि उससे कार्य की समाप्ति सूचित होती है। (दूसरा भेद पूर्वकालिक क्रिया कहलाता है। उक्त वाक्य में जाकर पूर्वकालिक क्रिया है)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समापित :
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भू० कृ०=समाप्त।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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समापी (पिन्) :
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वि० [सं० सम√आप् (प्राप्त करना)+णिनि] [स्त्री० समापिनी] १. समापन करने-वाला। २. समाप्त करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
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समाप्त :
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भू० कृ० [सं०] १. (कार्य) जिसे पूरा कर दिया गया हो। जैसा—विद्यालय का कार्य समाप्त हो गया है। २. (वस्तु) जिसका भोग, संहार आदि के कारण अस्तित्व नष्ट हो गया हो। जैसा—धन समाप्त होना। ३. (वस्तु) जो बिक चुकी हो फलतः विक्रयार्थ उपलब्ध न हो। जैसा—पापलीन समाप्त हो गई है, नई दो-चार दिन में आ जायगी। ४. (नौकरी या सेवा) जिसका कार्य-काल बीत चुका हो। जैसा—उनकी नौकरी समाप्त हो चुकी है। ५. मृत। |
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समानार्थी शब्द-
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समाप्त-सैन्य :
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पुं० [सं०] प्राचीन भारत में ऐसी सेना जो किसी एक ही ढंग की लड़ाई करना जानती थी। |
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समाप्ति :
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स्त्री० [सं० सम√आप् (प्राप्त होना)+क्तिन्] १. समाप्त होने की अवस्था या भाव। खतम या पूरा होना। २. अवधि, सीमा आदि का अंत होना (एक्सापयरी, एक्सपाररेशन)। ३. किसी काम, चीज या बात का सदा के लिए स्थायी रूप से अन्त होना। न रह जाना। (एविस्टक्शन)। |
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समानार्थी शब्द-
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समाप्तिक :
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पुं० [सं०] वह जो वेदों का अध्ययन समाप्त कर चुका हो। वि० समाप्त या पूरा करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
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समाप्य :
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हि० [सं० सम√आप (प्राप्त होना)+ण्यत्] समाप्त किये जाने के योग्य। खतम या पूरा करने या होने के लायक। |
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समाम्ना :
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पुं० [सं० सम+आ√म्ना+य] [वि० समाम्नायिका] १. शास्त्र। २. समष्टि। समूह। |
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समानार्थी शब्द-
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समाम्नायिक :
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पुं० [सं० समाम्नाय+ठन्—इक] वह जिसे शास्त्रों का अच्छा ज्ञान हो। शास्त्रवेत्ता। वि० समाम्नाय या शास्त्र संबंधी। शास्त्रीय। |
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समानार्थी शब्द-
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समायत :
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वि० [सं०] [स्त्री० समायता] १. बढ़ा या फैला हुआ। विस्तृत। २. बड़ा। विशाल। स्त्री०=समाअत (सुनवाई)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समायुक्त :
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वि० [सं० सम-आ√ युज् (मिलाना)+क्त] १. जोड़ा हुआ। २. तैयार किया हुआ। ३. नियुक्त। ४. संपर्क मे लाया हुआ। ५. दत्तचित्त। ६. आवश्यकता पड़ने पर दिया या किसी के पास पहुँचाया हुआ। (सप्लायड)। |
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समायुक्तक :
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पुं० [सं०] समायोजक (दे०)। |
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समायुत :
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भू० कृ० [सं० सम-आ√ यु (मिलाना)+क्त] १. जोड़ा या लगाया हुआ। २. एकत्र किया हुआ। संगृहीत। |
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समायोग :
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पुं० [सं०] १. संयोग। २. जनसमूह। भीड़। ३. दे० ‘समायोजन’। |
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समायोजक :
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पुं० [सं०] समायोजन करनेवाला (सप्लायर)। |
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समायोजन :
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पुं० [सं० सम-आ√युज्)मिलाना)+ल्युट-अन] [भू० कृ० समायोजित] १. समायोग। २. लोगों की आवश्यकता की चीजें उनके पास पहुँचाने की व्यवस्था। संभरण। (सप्लाई) |
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समारना :
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१. स०=सँवारना। २. =सँभालना। |
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समारब्ध :
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भू० कृ० [सं० सम्-आ√रम्भ् (प्रारम्भ करना)+क्त] जिसका समारंभ हुआ हो। आरंभ किया हुआ। |
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समारंभ :
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पुं० [सं० सम्-आ√रभ् (शीघ्रता करना)+घञ्-मुम्] १. आरंब। शुरुआत। २. कोई काम, क्रिया या व्यापार। ३. समारोह। ४. लेप। |
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समानार्थी शब्द-
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समारंभण :
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पुं० [सं० सम-आ√रभ् (शीघ्रता करना)+ल्युट-अन,मुम्] [भू० कृ० समारंभित] १. कार्य आरम्भ करना। २. गले लगाना। आलिंगन। |
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समारम्य :
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वि० [सं० सम-आ√रम् (शीघ्रता करना)+यत्] जिसका समारम्भ हो सकता हो या होने को हो। |
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समारूढ़ :
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भू० कृ० [सं० सम-आ√रूह् (होना)+क्त] १. किसी के ऊपर चढ़ा हुआ। आरुढ़। २. बढ़ा हुआ। ३. अंगीकृत। ४. (घाव) जो भर गया हो। (वैद्यक)। |
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समानार्थी शब्द-
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समारोप (ण) :
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पुं० [सं०] [वि० समारोपित] अच्छी तरह आरोप या आरोपण करने की क्रिया या भाव। |
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समारोह :
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पुं० [सं० सम-आ√रुह् (होना)+घञ्] १. ऊपर जाना विशेषतः चढ़ाई करना। २. कोई ऐसा शुभ आयोजन जिसमें चहल-पहल तथा धूमधाम हो। (फंन्शन) |
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समार्थ :
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वि०=समार्थक। |
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समानार्थी शब्द-
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समार्थक :
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वि० [सं० ब० स० कप्] समान अर्थवाले (शब्द) समानक। पुं० पर्याय। |
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समार्थी (र्थिन्) :
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वि० [सं० समार्थ+इनि] बराबरी करने की इच्छा रखनेवाला। २. दे० ‘समार्थक’। |
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समालंभन :
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पुं० [सं०] [भू० कृ० समालंभित] १. शरीर पर केसर आदि का लेप करना। २. वध। हत्या। ३. गले लगाना। आलिंगन। ३. सहारा होना। |
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समालय :
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पुं० [सं० सम-आ√लय् (करना)+घञ्] अच्छी तरह बातचीत करना। |
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समालिंगन :
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पुं० [सं० सम-आ√लिंग (गत्यादि)+ल्युट-अन] [भू० कृ० समालिगित] प्रगाढ़ आलिगंन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समालोकन :
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पुं० [सं० सम-आ√लोक (देखना)+ल्युट-अन] [भू० कृ० समालोकित] अच्छी तरह देखना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समालोचक :
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पुं० [सं० सम+आ√लोच् (देखकर कहना)+ण्वुल-अक] वह जो समालोचना करता हो। समीक्षक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समालोचन :
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पुं० [सं० सम-आ√लोच् (देखना)+ल्युट-अन] समालोचना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समालोचना :
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स्त्री० [सं० समालोचन+टाप्] १. अच्छी तरह देखना। २. किसी कृति के गुण-दोषों का किया जानेवाला विवेचन। ३. साहित्य में वह लेख जिसमें किसी कृति के गुण-दोषों के संबंध में किसी ने अपने विचार प्रकट किये हों। (रिव्यू) ४. साहित्यिक कृतियों के गुण-दोष विवेचन करने की कला या विद्या। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समालोची :
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वि० [सं० सम-आ√लोच् (देखना)+णिनि]=समालोचक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समालोच्य :
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वि० [सं०] जिसकी समालोचना हो सकती हो या होने को हो। |
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समानार्थी शब्द-
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समाव :
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पुं०=समाई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समावरण :
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पुं० [सं०] [भू० कृ० समावृत्त] कोई छोटा लेख या सूचना जो किसी बड़े पत्र के साथ एक ही लिफाफे में रखकर कही भेजी जाय। (एन्क्लोजर)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समावर्जन :
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पुं० [सं० सम-आ√वृज् (मना करना)+ल्युट-अन] १. अपनी ओर झुकाना या मोड़ना। २. उपयोग के लिए अपने अधिकार में लाना या लेना। ३. वश में करना। |
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समानार्थी शब्द-
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समावर्जित :
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भू० कृ० [सं० सम-आ√वृत्त (रहना)+घञ्] १. वापस आना। लौटना। २. दे० ‘समावर्तन’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समावर्तन :
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पुं० [सं०] १. वापस आना। लौटना। २. प्राचीन भारत में, वह समारोह जिसमें गुरुकुल के स्नातकों को विद्याध्ययन कर लेने के उपरांत विदाई दी जाती थी। ३. आजकल विश्वविद्यालयों आदि में होनेवाला वह समारोह जिसमें उच्च परीक्षाओं में उतीर्ण होनेवाले परीक्षार्थियों को उपाधियाँ, पदक, प्रमाण-पत्र आदि दिये जाते हैं। (कान्वोकेशन)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समावर्तनीय :
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वि० [सं० सम-आ√वृत्त (रहना)+अनीयर] १. वापस होने के योग्य। लौटाने लायक। २. जो समावर्तन संस्कार के योग्य हो गया हो। |
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समानार्थी शब्द-
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समावर्ती (र्तिन्) :
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वि० [सं०] समावर्तन संस्कार के उपरान्त गुरुकुल से लौटानेवाला स्नातक। |
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समानार्थी शब्द-
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समावास :
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पुं० [सं० सम-आ√वस् (रहना)+घञ्] १. निवास स्थान। २. टिकने या ठहरने का स्थान ३. शिविर। पड़ाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समाविष्ट :
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भू० कृ० [सं० सम-आ√विश् (प्रवेश करना)+क्त] १. जिसका समावेश हो चुका हो या कर दिया गया हो। २. जो छा, भर या व्याप्त हो चुका हो। ३. बैठा हुआ। आसीन। ४. एकांतचित्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समावृत्त :
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वि० [सं० सम-आ√वृ (वरण करना)+क्त] [भाव० समावृत्ति] १. अच्छी तरह ढका, छाया या लपेटा हुआ। २. समावर्तन सस्कार के उपरान्त घर लौटा हुआ। ३. सूचनात्मक टिप्पणी या लेख जो किसी पत्र के साथ एक ही लिफाफे में बन्द करके कहीं भेजा गया हो। (इन्क्लोज्ड) जैसा—इस पत्र के साथ सभा का कार्यविवरण समावृत्त है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समावृत्ति :
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स्त्री० [सं०] १. समावृत्त होने की अवस्था या भाव। २. समावर्तन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समावेश :
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पुं० [सं० सम-आ√विश् (प्रवेश करना)+घञ्] १. एक या एक जगह जाना, पहुँचना साथ रहना या होना। २. किसी चीज या बात का दूसरी चीज में होना। ३.चित्त या मन किसी ओर लगाना। मनोनिवेश। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समावेशक :
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वि० [समावेश+कन्] समावेश करनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समावेशन :
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पुं० [सं० सम-आ√विश् (प्रवेश करना)+ल्युट-अन] १. किसी के अन्दर पैठना। प्रवेश। २. अधिकार या वश में करना। ३. विवाह संस्कार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समावेशित :
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भू० कृ० सं० [सं० सम-आ√विश् (प्रवेश करना)+णिच्+क्त, समावेश,+एतच्, वा]= समाविष्ट। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समांशिक :
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वि० [सं० समांश+ठन्-इक] १. समान भागोंवाला। २. समान अंग या भाग पाने-वाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समाश्रय :
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भुं० [सं०] १. आश्रय। सहारा। २. मदद। सहायता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समाश्रित :
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पुं० कृ० [सं० सम-आ√श्रि (सेवा करना)+क्त] १. जिसने किसी स्थान पर अच्छी तरह आश्रय लिया हो। २. सहारे पर टिका हुआ। पुं० वह जो भरण-पोषण के लिए किसी पर आश्रित हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समास :
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पुं० [सं०] १. योग्य। मेल। २. संग्रह। संचय। ३. संक्षेप। ४. संस्कृत व्याकरण में वह अवस्था जब अनेक पदों का एक पद, अनेक विभक्तियों की एक विभक्ति या अनेक स्वरों का एक स्वर होता है। इसके अप्ययी भाव, तत्पुरुष बहुब्रीहि और द्वन्द्व चार भेद है। |
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समानार्थी शब्द-
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समासक :
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वि० [सं० समास+कन्] विराम-चिन्हों के अन्तर्गत एक प्रकार का चिन्ह जो समस्त पदों के अलग-अलग शब्दों के बीच लगाया जाता है। समास का चिह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समासक्ति :
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स्त्री० [सं० सम-आ√सज्ज (मिलना)+क्तिन्] [वि० समासक्त] १. योग। मेल। २. संबंध। ३. अनुराग। ४. समावेश। अंतर्भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समासंजन :
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पुं० [सं० सम-आ√सज्ज (मिलना)+ल्युट-अन] [भू० कृ० समासंजित] १. संयुक्त करना। मिलाना। २. किसी पर जड़ता या रखना। ३. संपर्क। संबंध। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समासन्न :
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भू० कृ० [सं० सम-आ√सद् (गत्यादि)+क्त] १. पहुँचा हुआ प्राप्त। २. निकटवर्ती। पास का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समासीन :
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वि० [सं० सम√आस् (बैठना)+क्विप्-ख-ईन] अच्छी तरह आसीन या बैठा हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समासोक्ति :
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स्त्री० [सं० समास+उक्ति] साहित्य में एक अलंकार जिसमें श्लिष्ट संज्ञाओं की सहायता से कोई ऐसा वर्णन किया जाता है जो प्रस्तुत विषय के अतिरिक्त किसी दूसरे अप्रस्तुत विषय पर भी समान रूप से घटता है। जैसे—बड़ों डील लखि पील को सबन तज्यो बन थान। धनि सरजा तू जगत् में ताकों हरयों गुमान। इसमं सरजा संज्ञा) प्रस्तुत (सिंह या शेर) अप्रस्तुत (शिवाजी) के संबंध में घटना है। यह अप्रस्तुत प्रशंसा के विरुद्ध या उल्टा है। (स्पीच आँफ ब्रैंविटी)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समाहना :
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अ० [सं० समाहन] सामना करना। सामने आना। उदाहरण—त्रिबली नाभि दिखाई कर सिर कि सकुचि समाहि।—बिहारी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समाहरण :
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पुं० [सं० सम-आ√हृ (हरण करना)+ल्युट-अन] १. चीजें आदि एक स्थान पर एकत्र करना। संग्रह २. ढेर। राशि। ३. कर, चन्दा, प्राप्य धन आदि उगाहना। वसूली। (कलेक्शन)। ४. क्रम, नियम आदि के अनुसार ठीक ढंग से या सजाकर बनाया या रखा जाना। (फार्मेशन)। जैसा—वायुयानों का समाहरण। ५. दे० ‘समाहार’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समाहर्ता (र्तृ :
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वि० [सं० सम-आ√हृ (हरण करना)+तृच्] १. समाहार अर्थात् एकत्र या पुंजीभूत करनेवाला। २. संक्षिप्त रूप देनेवाला। ३. मिलाने या सम्मिलित होनेवाला। पुं० वह राज कर्मचारी जिसके जिम्मे किसी जिले से राजकर या प्राप्य धन आदि उगाहने का काम होता है। (कलेक्टर)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समाहार :
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पुं० [सं० सम-आ√हृ (हरण करना)+घञ्] १. बहुत सी चीज को एक जगह इकट्ठा करना। संग्रह। २. ढेर। राशि। ३. मिलन। मिलाप। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समाहार-द्वंद् :
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पुं० [सं० मध्यम० स०] व्याकरण में ऐसा द्वंद्व समास जिससे उसके पदों के अर्थ के सिवा कुछ और अर्थ भी सूचित होता है। जैसा—सेठ साहूकार, हाथ-पाँव, दाल-रोटी आदि। इनमें से प्रत्येक अपने पदों के अर्थ के सिवा उसी प्रकार वे कुछ और व्यक्तियों या पदार्थों का भी बोध कराता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समाहित :
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वि० [सं०] १. एक जगह इकट्ठा किया हुआ,विशेषतः सुन्दर और व्यवस्थित रूप से इकट्ठा किया या सजाकर लगाया हुआ। २. केन्द्रित। ३.शांत। ४.समाप्त। ५. व्यवस्थित। ६. प्रतिपादित। ७. स्वीकृत। ८. सदृश। समान। पुं० १. पुण्यात्मा और साधु-पुरुष। २. साहित्य में वह अवस्था जब कोई भावशांति (देखे) इस प्रकार होती है कि वह किसी दूसरे भाव के सामने दबकर गौण रूप धारण कर लेती है। इसकी गिनती अलंकारों में होती है। ३. ‘समाधि’ नामक अलंकार का दूसरा नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समाहूत :
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भू० कृ० [सं० सम-आ√ ह्वे (बुलाना)+क्त, व=उ-दीर्घ] १. जिसे बुलाया गया हो। आहूत। २. जिसे ललकारा गया हो। ३. एकत्र किया हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समाहृत :
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भू० कृ० [सं०] जिसका समाहरण या समाहर हुआ हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समाह्वान :
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पुं० [सं० सम-आ√ ह्वे (बुलाना)+ल्युट-अन] [भू० कृ० समाहूत] १. आवाहन। बुलाना। २. जूआ खेलने के लिए बुलाना या ललकारना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |