शब्द का अर्थ
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सल :
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पुं० [सं०] १. जल। पानी। २. सरल वृक्ष। ३. घास-पात में रहनेवाला बोंट नाम का कीड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
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सलई :
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स्त्री० [सं० शल्लकी] १. शल्लकी। वृक्ष। चीड़। २. चीड़ का गोंद। कुंदरू। |
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सलग :
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वि० [सं० संलग्न] १. किसी के साथ लगा हुआ। संलग्न। २. जिसके सब अंग साथ लगे हों अलग न किये गये हों। अखंडित। ३. समग्र। सारा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सलगम :
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पुं०=शलजम।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सलगा :
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स्त्री० [सं० शल्लकी] शलकी। सलई। चीड़। |
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सलज :
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पुं० [सं० सल=जल] पहाड़ी बरफ का पानी। वि० सलज्ज। लजीला। |
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सलजम :
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पुं०=शलजम।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सलज्ज :
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वि० [सं० तृ० त०] १. जिसमें या जिसे लज्जा हो। शर्म और हयावान्। लज्जाशील। २. जो सरमा रहा हो। अव्य० १. लजाते हुए। २. लाज से। |
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सलतनत :
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स्त्री० दे० ‘सल्तनत’। |
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सलना :
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अ० [सं० शल्य, हिं० सालना का अ०] १. साला जाना। छिदना। भिदना। २. छेद में ढाला या पहनाया जाना। पुं० लकड़ी में छेद करने का बरमा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [सं०] मोती। |
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सलपन :
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पुं० [देश] एक प्रकार की झाड़ी जिसकी टहनियों पर सफेद रोएँ होते हैं। यह वर्षा ऋतु में फूलती है। इसके पत्तों आदि का व्यवहार ओषधि रूप में होता है। |
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सलब :
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वि० [अ० सल्ब] नष्ट। बरबाद। |
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सलंबा-नोन :
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पुं० [सलंबा+हि० नोन] कचिया नोन। काच। लवण। |
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सलभ :
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पुं०=शलभ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सलमा :
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पुं० [अ० सल्मः] कपड़ों पर बेल-बूटें काढ़ने के काम आनेवाला सोने-चाँदी का सुनहला रुपहला तार। बादला। |
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सलवट :
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स्त्री०=सिलवट।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सलवन :
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पुं० [सं० शालिपर्ण] सरिबन। |
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सलवात :
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स्त्री० [अ०] १. बरकत। २. अनुग्रह। मेहरबानी। ३. गाली। दुर्वचन। परिहास और व्यंग्य। क्रि० प्र०—सुनाना। |
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सलसलबोल :
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पुं० [अ०] १. बहुमूत्र रोग। २. मधु-प्रमेह नामक रोग। |
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सलसलाना :
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अ० [अनु०] १. धीरे-धीरे खुजली होना। सरसराहट होना। गुदगुदी होना। ३. दे० सरसराना। स० १. खुजलाना। २. गुदगुदाना। ३. दे० सरसराना। |
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सलसलाहट :
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स्त्री० [अनु] १. सलसलाने की क्रिया या भाव। २. खुजली। ३. गुदगुदी। ४. सलसल होनेवाला शब्द। |
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सलसी :
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स्त्री० [देश] माजूफल की जाति का एक प्रकार का बड़ा वृक्ष। बूक। |
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सलहज :
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स्त्री० [हि० साला] संबंध के विचार से साले अर्थात् पत्नी के भाई की स्त्री। |
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सलाई :
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स्त्री० [सं० शलाका] १. काठ, धातु आदि का छोटा पतला छड़। जैसा—सुरमा लगाने की सलाई, घाव में दवा भरने की सलाई, मोजा गुलबन्द आदि बुनने की सलाई। मुहावरा—(आँखों में सलाई फेरना=अंधा करना। (मध्य युग में दण्ड रूप में अपराधी की आँखों में गरम-गरम सलाई फेरी जाती थी। २. दीया। सलाई। स्त्री०=सलई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सलाक :
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स्त्री० [फा० सलाख] १. सलाख। छड़। २. वाण। तीर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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सलाकना :
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स० [हि० सलाक] १. सलाख या शलाका से किसी चीज पर निशान करना या लकीर खींचना। २. किसी की आँखों में तपी हुई सलाई फेरकर उसे अंधा करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सलाख :
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स्त्री० [फा० सलाख, मि० सं० शलाका] १. धातु का छ़ड़। शलाका। सलाई। २. रेखा। लकीर। |
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सलाखना :
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सं०=सलाकना। |
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सलाजीत :
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स्त्री०=शिलाजीत। |
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सलाद :
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पुं० [अ० सैलाड] १. एक प्रकार का कंद के पत्ते जो पाचक होने के कारण कच्चे खाये जाते हैं। २. कंद, फल आदि जो बिना पकाये हुए केवल कच्चे काटकर भोजन के साथ प्रायः नमक, मिर्च, खटाई आदि मिलाकर खाये जायँ। जैसा—खीरे, टमाटर, मूली आदि का सलाद। |
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सलाबत :
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स्त्री० [अ०] १. कठोरता। २. व्यवहार आदि की कठोरता। ३. वीरता। ४. प्रताप। |
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सलाम :
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पुं० [अ०] अभिवादन का एक मुसलमानी ढंग जिसमें दाहिने हाथ की उँगलियों जोड़कर माथे तक ले जाई जाती, है। क्रि० प्र०—करना।—लेना। मुहावरा—(अमुक को) सलाम देना=अमुक से हमारा सलाम कहो। (आशय यह होता है कि ये आकर हमसे मिलें)। सलाम फेरना= (क) नमाज खतम करने के बाद ईश्वर को अन्त में फिर से नंमस्कार करना। (ख) रोष आदि के कारण किसी का सलाम स्वीकार न करना। किसी को दूर से सलाम करना=किसी बुरी वस्तु या व्यक्ति से बिलुकल अलग या बहुत दूर रहना। जैसा—उनको तो हम दूर से ही सलाम करते है अर्थात् उनके पास जाना पसन्द नहीं करते। |
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सलाम-अलैकुम :
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अव्य० [अ०] एक अरबी पद जिसका प्रयोग किसी को सलाम करने के समय किया जाता है,और जिसका अर्थ है-आप सकुशल और सुखी रहें (मुसल०)। |
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सलाम-कराई :
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स्त्री० [अ० सलाम+हि० कराई] १. सलाम करने की क्रिया या भाव। २. वह धन जो दूल्हे या दुल्हिन को ससुराल में बड़े लोगों को सलाम करने पर मिलता है। |
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सलामत :
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वि० [सं०] १. (व्यक्ति) जो जीवित तथा कुशलपूर्वक हो। २. (वस्तु) जो रक्षित या अच्छी दशा में हो। ३.जो कायम तथा स्थित हो। क्रि० वि० कुशलतापूर्वक। |
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सलामती :
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स्त्री० [अ०] १. सलामत होने की अवस्था या भाव। २. कुशल। क्षेम। ३. अच्छी तन्दुरुस्ती। उत्तम स्वास्थ्य। जैसा—किसी की सलामती मनाना। पद—सलामती से=सकुशल। कुशलतापूर्वक। |
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सलामी :
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स्त्री० [अ०] १. सलाम करने की क्रिया या भाव। २. विशेषतः सिपाहियों, सैनिको स्काउटों आदि का एक साथ किसी बड़े अधिकारी, अभ्यागत आदि का अभिवादन करना। क्रि० प्र०—देना।—लेना। ३. किसी बड़े आदमी के आगमन के समय उसके स्वागतार्थ बंदूकों, तोपों आदि का दागा जाना। मुहावरा—सलामी उतारना=किसी महान व्यक्ति के स्वागतार्थ तोपों को दागना। ४. वह धन जो मकान, दुकान आदि को किराये पर देने के समय पगड़ी के रूप में लिया जाता है। वि० १. ढालुआँ। जैसा—सलामी छत। २. गाव दुम। |
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सलार :
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पुं० [देश०] एक प्रकार की चिड़िया।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सलासत :
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स्त्री० [अ०] १. भाषा के सलीस अर्थात् सरल और सुबोध होने की अवस्था या भाव। २. कोमलता। मृदुता। ३. सफाई। |
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सलाह :
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स्त्री० [अ०] १. अच्छापन। भलाई। जैसा—खैर-सलाह=कुशल-मंगल। २. यह बतलाना कि अमुक कार्य इस प्रकार होना चाहिए। सम्मति। राय। ३. आपस में होनेवाला विचार-विमर्श। परामर्श। ४. भविष्य के संबंध में होनेवाला विचार। इरादा। ५. राय। सम्मति। वि० [?] जो गिनती में दस हो। दलाल। सलाहकार |
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सलाहियत :
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स्त्री० [अ०] १. भलाई। २. योग्यता। ३. नरमी। ४. व्यवहार आदि की कोमलता। |
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सलाही :
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पुं०=सलाहकार।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सलि :
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स्त्री०=सर (चिता)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सलिता :
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स्त्री०=सरिता (नदी)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सलिल :
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स्त्री० [सं०] जल। पानी। |
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सलिल कुंतल :
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पुं० [सं०] शैवल। सिवार। |
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सलिल क्रिया :
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स्त्री० [सं०] १. जलांजलि। उदक क्रिया। २. पितरों का तर्पण। |
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सलिल-चर :
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पुं० [सं०] जल-जीव। |
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सलिल-निधि :
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पुं० [सं०] १. जलनिधि। समुद्र। २. सरसरी छंद का एक नाम। |
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सलिल-योनि :
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वि० [सं०] जो जल में उत्पन्न हो, जल-जात। पुं०=ब्रह्मा। |
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सलिल-स्थलचर :
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वि० [सं०] जन्तु या प्राणी जो जल और स्थल दोनों में विचरण करता हो। जैसा—हंस, साँप आदि। |
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सलिलज :
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वि० [सं० सलिल√जन् (उत्पन्न करना)+ड] जो जल से उत्पन्न हो। जल-जात। पुं० कमल। |
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सलिलद :
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वि० [सं०] १. सलिल देनेवाला। जल देनेवाला। जो जल दे। २. पितरों का तर्पण करनेवाला। पुं० बादल। मेघ। |
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सलिलपति :
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पुं० [सं०] १. जल से अधिष्ठाता देवता वरुण। २. समुद्र। |
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सलिलराज :
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पुं० [सं०]=सलिल-पति। |
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सलिलाकर :
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पुं० [सं० ष० त०] समुद्र। सागर। |
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सलिलांजलि :
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स्त्री० [सं० ष० त०]=जलांजलि। |
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सलिलाधिप :
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पुं० [सं० ष० त०] जल के अधिष्ठाता देवरा वरुण। |
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सलिलार्णव :
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पुं० [सं०] समुद्र। सागर। |
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सलिलालय :
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पुं० [सं० ष० त०] समुद्र। सागर। |
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सलिलाशन :
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वि० [सं० ब० स०] जिसका आहार मात्र जल हो। जल पीकर जीवित रहनेवाला। |
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सलिलाशय :
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पुं० [सं० ष० त०] जलाशय। |
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सलिलाहार :
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वि०=सलिलाशन। |
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सलिलेचर :
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पुं० [सं० सलिले√चर् (चरना)+ट-अलुक] जल में सोनेवाला। जलशायी। पुं० विष्णु। |
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सलिलेंद्र :
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पुं० [सं० ष० त०] जल के अधिष्ठाता देवता वरुण। |
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सलिलेधन :
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पुं० [सं० ब० स०] बाड़वानल। |
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सलिलेश्वर :
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पुं० [सं० ष० त०] वरुण। |
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सलिलोदन :
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पुं० [सं० मध्यम० स०] जल में पकाया हुआ अन्न। |
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सलिलोद्भव :
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वि० [सं० ब० स०] जो जल में या जल से उत्पन्न हो। पुं० कमल। |
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सलीका :
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पुं० [अ० सलीकः] १. कार्य संपादन करने का सामान्य तथा स्वाभाविक ढंग। प्रचलित या रूढ़ फलतः अच्छा या मान्य ढंग। २. शऊर। तमीज। ३. योग्यता। लियाकत। ४. आचरण और व्यवहार। ५. सभ्यता और शिष्टता। |
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सलीकामंद :
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वि० [अ० सलीका+फा०मंद (प्रत्यय)] १. जिसे अच्छा सलीका आता हो। शऊरदार। २. शिष्ट और सभ्य। |
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सलीता :
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पुं० [सं० सत्तलिता=मोटी चादर] मारकीन की तरह का परन्तु उससे अधिक मोटा तथा गझिन कपड़ा, जिसकी चादरें चाँदनियाँ आदि बनाई जाती है। |
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सलीब :
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स्त्री० [अ०] सूली। |
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सलीबी :
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वि० [अ०] सलीब सम्बन्धी। सलीब का। पुं० ईसाई जो उस सूली को अपना पवित्र धर्म चिन्ह मानते हैं जिस पर ईसा मसीह टांगे गये थे। |
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सलीम :
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वि० [अ०] १. ठीक। दुरुस्त। २. सच्चा और सीधा। सरल हृदय। |
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सलीमशाही :
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पुं० [अ+फा०] पुरानी चाल का एक प्रकार का बढ़िया जूता। |
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सलीमी :
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स्त्री० [अ० सलीम] पुरानी चाल का एक प्रकार का कपड़ा। |
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सलील :
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वि० [सं०] १. क्रीड़ाशील। लीला-रत। २. खिलाड़ी। ३. किसी प्रकार की भाव-भंगी से युक्त। अव्य० क्रीड़ा के रूप में या क्रीड़ा करते हुए। उदाहरण—दुर्भर की गर्भ-मधुर पीड़ा, झेलती जिसे जननी सलील।—प्रसाद। |
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सलीस :
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वि० [अ०] [भाव० सलासत] १. सहज। सुगम। आसान। २. समतल। हमवार। ३. भाषा या लेख जो सरल और शिष्टोचित या शिष्ट-सम्मत हो। |
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सलूक :
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पुं० [अ०] १. तौर। तरीका। ढंग। (क्व०)। २. किसी के प्रति किया जानेवाला व्यवहार। जैसा—पत्नी का पति से सलूक अच्छा नहीं है। ३. लोगों के साथ रखा जानेवाला मेल-मिलाप। ४. किसी का किया जानेवाला उपकार। नेकी। भलाई। |
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सलूका :
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पुं० [फा० शलूकः] पूरी बाँह की कुरती या बंडी। |
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सलूग :
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पुं० [सं० त० त] एक प्रकार का बहुत छोटा कीड़ा। २. जूं। लीख। |
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सलूना :
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पुं० [सं० स+लवण] पकाई या बनाई हुई तरकारी। सालन। (पश्चिम) जैसा—आलू का सलूना। वि०=सलोना। |
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समानार्थी शब्द-
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सलूनी :
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स्त्री० [हि० स०+लोन=नमक] चूका शाक। चुक्रिका। |
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सलेक :
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पुं० [सं०] तैत्तरीय संहिता के अनुसार एक आदित्य का नाम। |
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समानार्थी शब्द-
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सलेमशाही :
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स्त्री०=सलीमशाही।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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सलैला :
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वि० [सं० सलिल+हि० ऐला (प्रत्यय)] १. जिसमें पानी मिला हो। २. इतना चिकना कि उस पर पैर या हाथ फिसले। |
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सलोक :
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पुं० [सं० त० त० ब० स० वा] १. नगर। शहर। २. नगर निवासी। नागरिक। पुं० श्लोक।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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सलोकता :
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स्त्री० [सं० सलोक+तल्—टाप्]=सालोक्य। |
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समानार्थी शब्द-
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सलोट :
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स्त्री०=सिलवट।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सलोतर :
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पुं०=शालिहोत्र।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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सलोतरी :
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पुं०=शालिहोत्री।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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सलोन :
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वि०=सलोना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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सलोना :
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वि० [हि० स+लोन=नमक] [स्त्री० सलोनी] १. (पदार्थ) जिसमें नमक पड़ा हो। नमक मिला हुआ। नमकीन। २. व्यक्ति का रूप जिसमें लावण्य अर्थात् कोमल और मोहक सौन्दर्य हो। स्त्री० [फा० साले नौ=नव वर्ष] श्रावण शुक्ला पूर्णिमा अर्थात् रक्षा-बंधन का दिन और त्यौहार। राखी पूनो। विशेष—फसली सन् का आरंभ इसी के दूसरे दिन से होता है, इस लिए भारत के मुसलमान शासक इसे साले-नौ (नव वर्ष) कहते थे। इसी ‘साले नौ’ का अपभ्रष्ट रूप सलोना है। |
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समानार्थी शब्द-
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सलोनापन :
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पुं० [हि० सलोना+पन (प्रत्यय)] सलोना होने की अवस्था, गुण या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
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सलोनो :
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स्त्री० [सं० श्रावणी] श्रावणी पूर्णिमा को होनेवाला रक्षाबन्धन नामक त्यौहार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सल्तनत :
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स्त्री० [अ०] १. सुल्तान के अधीन रहनेवाला राज्य। बादशाहत। साम्राज्य। २. शासन। हूकूमत। ३. सुख और सुभीते की स्थिति। जैसा—तुम्हारी तो किसी तरह सल्तनत ही नहीं बैठती। क्रि० प्र०—जमाना।—बैठना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सल्ल :
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पुं० [सं० सरल] सरल वृक्ष। सरल द्रुम। पुं० [सं० सल्प] काँटा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सल्लकी :
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स्त्री० [सं० शल्लकी] १. शल्लकी वृक्ष। सलई। २. सलई का गोंद। कुँदरु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सल्लम :
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स्त्री० [देश०] एक प्रकार का मोटा कपड़ा। गंजी। गाढ़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सल्लाह :
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स्त्री०=सलाह।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सल्ली :
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स्त्री० [सं० शल्लकी] शल्लकी। सलई। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सल्लू :
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पुं० [हि० सलना] चमड़े की डोरी। वि० [?] बेवकूफ। मूर्ख। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सल्लेअला :
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अव्य० [अ०] वाहवाह। बहुत खूब। सुभानअल्ला। (मुसल०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सल्व :
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पुं०=शल्व। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |