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सामान्य भविष्यत्  : पुं० [सं० मध्यम० स०] व्याकरण में भविष्यत् काल का एक भेद, जिससे यह ज्ञात होता है कि अमुक बात आगे चलकर होगी, अथवा आगे चलकर अमुक व्यक्ति कोई क्रिया करेगा। धातु में ‘एगा’ ‘ऊँचा’ लगाकर इस काल के क्रिया पद बनाये जाते हैं। जैसा—जाएगा, खाएगा, हंसेगा खेलूँगा। इनमें उद्देश्य के लिंग वचन के अनुसार परिवर्तन होता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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