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शब्द का अर्थ

उपर  : अव्य-ऊपर। उदाहरण—लंका सिखर उपर आगारा।—तुलसी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपर  : अव्य-ऊपर। उदाहरण—लंका सिखर उपर आगारा।—तुलसी।
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उपरक्त  : वि० [सं० उप√रञ्ज्+क्त] १. (ग्रह) जो उपराग से ग्रस्त हो। जिसे ग्रहण लगा हो। २. जिस पर आभास या छाया पड़ी हो। ३. जिस पर किसी प्रकार का प्रभाव पड़ा हो या रंगत चढ़ी हो।
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उपरक्त  : वि० [सं० उप√रञ्ज्+क्त] १. (ग्रह) जो उपराग से ग्रस्त हो। जिसे ग्रहण लगा हो। २. जिस पर आभास या छाया पड़ी हो। ३. जिस पर किसी प्रकार का प्रभाव पड़ा हो या रंगत चढ़ी हो।
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उपरक्षण  : पुं० [सं० उप√रक्ष् (रक्षा करना)+ल्युट-अन] १. रक्षा करने का कार्य। २. चौकी। पहरा।
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उपरक्षण  : पुं० [सं० उप√रक्ष् (रक्षा करना)+ल्युट-अन] १. रक्षा करने का कार्य। २. चौकी। पहरा।
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उपरंजक  : वि० [सं० उप√रञज् (राग)+ण्वुल्-अक] १. रँगनेवाला। २. प्रभावित करने वाला। पुं० सांख्य में, वह वस्तु जिसका आभास या छाया पास की वस्तु पर पड़े। उपाधि। जैसे—लाल कपड़े के कारण पास रखे हुए स्फटिक का लाल दिखाई पड़ना।
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उपरंजक  : वि० [सं० उप√रञज् (राग)+ण्वुल्-अक] १. रँगनेवाला। २. प्रभावित करने वाला। पुं० सांख्य में, वह वस्तु जिसका आभास या छाया पास की वस्तु पर पड़े। उपाधि। जैसे—लाल कपड़े के कारण पास रखे हुए स्फटिक का लाल दिखाई पड़ना।
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उपरंजन  : पुं० [सं० उप√रञ्ज्+ल्युट्-अन] [वि० उपरंजनीय, उपरंज्य, भू० कृ० उपरंजित] १. रंग से युक्त करना। रँगना। २. प्रभाव डालना। प्रभावित करना।
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उपरंजन  : पुं० [सं० उप√रञ्ज्+ल्युट्-अन] [वि० उपरंजनीय, उपरंज्य, भू० कृ० उपरंजित] १. रंग से युक्त करना। रँगना। २. प्रभाव डालना। प्रभावित करना।
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उपरण  : पुं० [हिं० सुमरण] (स्मरण) के अनुकरण पर बना हुआ एक निरर्थक शब्द। उदाहरण—तेरो हि उमरण तेरोहि सुमरण तेरोहि ध्यान धरूँ।—मीराँ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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उपरण  : पुं० [हिं० सुमरण] (स्मरण) के अनुकरण पर बना हुआ एक निरर्थक शब्द। उदाहरण—तेरो हि उमरण तेरोहि सुमरण तेरोहि ध्यान धरूँ।—मीराँ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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उपरत  : वि० [सं० उप√रम् (रमण करना)+क्त] १. जो रत न हो। २. जो किसी काम में लगा न हो। ३. विरक्त। उदासीन। ४. मरा हुआ। मृत।
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उपरत  : वि० [सं० उप√रम् (रमण करना)+क्त] १. जो रत न हो। २. जो किसी काम में लगा न हो। ३. विरक्त। उदासीन। ४. मरा हुआ। मृत।
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उपरति  : स्त्री० [सं० उप√रम्+क्तिन्] १. उपरत या विरक्त होने की अवस्था या भाव। उदासीनता। २. मृत्यु। मौत।
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उपरति  : स्त्री० [सं० उप√रम्+क्तिन्] १. उपरत या विरक्त होने की अवस्था या भाव। उदासीनता। २. मृत्यु। मौत।
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उपरना  : पुं० [हिं० उपरा+ना (प्रत्यय)] शरीर के ऊपरी भाग में ओढ़ी जानेवाली चादर या दुपट्टा। उदाहरण—पिअर उपरना, काखा सोती।—तुलसी। अ० उखड़ना।
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उपरना  : पुं० [हिं० उपरा+ना (प्रत्यय)] शरीर के ऊपरी भाग में ओढ़ी जानेवाली चादर या दुपट्टा। उदाहरण—पिअर उपरना, काखा सोती।—तुलसी। अ० उखड़ना।
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उपरफट  : वि०=उपरफट्टू।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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उपरफट  : वि०=उपरफट्टू।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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उपरफटू  : वि० [सं० उपरि+स्फुट] १. यों ही इधर-उधर या ऊपर से आया हुआ। २. इधर-उधर का और बिलकुल व्यर्थ। फालतू। उदाहरण—मेरी बाँह छाँड़ि दै राधा करत उपर-फट बातें।
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उपरफटू  : वि० [सं० उपरि+स्फुट] १. यों ही इधर-उधर या ऊपर से आया हुआ। २. इधर-उधर का और बिलकुल व्यर्थ। फालतू। उदाहरण—मेरी बाँह छाँड़ि दै राधा करत उपर-फट बातें।
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उपरम  : पुं० [सं० उप√रम्+घञ्] किसी चीज या बात से चित्त हटना। विरति। वैराग्य।
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उपरम  : पुं० [सं० उप√रम्+घञ्] किसी चीज या बात से चित्त हटना। विरति। वैराग्य।
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उपरमण  : पुं० [सं० उप√रम्+ल्युट-अन] =उपराम।
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उपरमण  : पुं० [सं० उप√रम्+ल्युट-अन] =उपराम।
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उपरला  : वि० [हि० ऊपर+ला (प्रत्यय)] जो ऊपर की हो। ऊपरवाला। ऊपरी।
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उपरला  : वि० [हि० ऊपर+ला (प्रत्यय)] जो ऊपर की हो। ऊपरवाला। ऊपरी।
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उपरवार  : स्त्री० [हिं० ऊपर+वारा (प्रत्यय)] बाँगर। जमीन। वि० ऊपर की ओर पड़नेवाला। उदाहरण—रामजस अपने उपरवार खेत का जौ उखाड़कर होला जला रहा है।—प्रसाद।
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उपरवार  : स्त्री० [हिं० ऊपर+वारा (प्रत्यय)] बाँगर। जमीन। वि० ऊपर की ओर पड़नेवाला। उदाहरण—रामजस अपने उपरवार खेत का जौ उखाड़कर होला जला रहा है।—प्रसाद।
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उपरहित  : पुं०=पुरोहित।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपरहित  : पुं०=पुरोहित।
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उपरहिति  : स्त्री०=पुरोहिती।
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उपरहिति  : स्त्री०=पुरोहिती।
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उपरा-चढ़ी  : स्त्री०=चढ़ा-ऊपरी।
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उपरा-चढ़ी  : स्त्री०=चढ़ा-ऊपरी।
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उपराग  : पुं० [सं० उप√रञ्ज्+घञ्] १. रंग। २. भोग-विलास या विषयों में होनेवाला अनुराग। ३. आस-पास की वस्तु पर पड़नेवाला आभास या छाया। ४. चंद्रमा, सूर्य आदि का छायाग्रस्त होना। ग्रहण। ५. व्यसन। ६. निद्रा। उदाहरण—भयउ परब बिनु रबि उपरागा।—तुलसी।
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उपराग  : पुं० [सं० उप√रञ्ज्+घञ्] १. रंग। २. भोग-विलास या विषयों में होनेवाला अनुराग। ३. आस-पास की वस्तु पर पड़नेवाला आभास या छाया। ४. चंद्रमा, सूर्य आदि का छायाग्रस्त होना। ग्रहण। ५. व्यसन। ६. निद्रा। उदाहरण—भयउ परब बिनु रबि उपरागा।—तुलसी।
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उपराजना  : स० [सं० उपार्जन] १. उत्पन्न या पैदा करना। उदाहरण—अग-जग मय जग मम उपराजा।—तुलसी। २. रचना। बनाना। ३. उपार्जन करना। कमाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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उपराजना  : स० [सं० उपार्जन] १. उत्पन्न या पैदा करना। उदाहरण—अग-जग मय जग मम उपराजा।—तुलसी। २. रचना। बनाना। ३. उपार्जन करना। कमाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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उपराँठा-  : पुं०=पराँठा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपराँठा-  : पुं०=पराँठा।
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उपरांत  : अव्य० [सं० ] किसी के अंत में। पीछे या बाद में।
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उपरांत  : अव्य० [सं० ] किसी के अंत में। पीछे या बाद में।
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उपराना  : अ० [सं० उपरि] १. नीचे से ऊपर आना। २. प्रकट या प्रत्यक्ष होना। स०१. ऊपर करना या लाना। २. प्रकट या प्रत्यक्ष करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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उपराना  : अ० [सं० उपरि] १. नीचे से ऊपर आना। २. प्रकट या प्रत्यक्ष होना। स०१. ऊपर करना या लाना। २. प्रकट या प्रत्यक्ष करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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उपराम  : पुं० [सं० उप√रम्+घञ्] १. विषयों के भोग आदि से होनेवाली विरक्ति। विराग। २. छुटकारा। निवृत्ति। ३. आराम। विश्राम।
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उपराम  : पुं० [सं० उप√रम्+घञ्] १. विषयों के भोग आदि से होनेवाली विरक्ति। विराग। २. छुटकारा। निवृत्ति। ३. आराम। विश्राम।
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उपराला  : पुं० [हिं० ऊपर+ला (प्रत्यय)] पक्षग्रहण। सहायता। वि० १. ऊपर का। ऊपरी। २. ऊँचा। ३. बाहरी।
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उपराला  : पुं० [हिं० ऊपर+ला (प्रत्यय)] पक्षग्रहण। सहायता। वि० १. ऊपर का। ऊपरी। २. ऊँचा। ३. बाहरी।
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उपरावटा  : वि० [सं० उपरि+आवर्त्त] १. ऊपर की ओर उठा हुआ। २. अभिमान आदि के कारण अकड़ा या तना हुआ।
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उपरावटा  : वि० [सं० उपरि+आवर्त्त] १. ऊपर की ओर उठा हुआ। २. अभिमान आदि के कारण अकड़ा या तना हुआ।
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उपराहना  : स० [हिं० ऊपर+करना] १. औरों से ऊपर या बढ़कर मानना। २. प्रशंसा करना। सराहना। उदाहरण—आम जो परि कै नवैतराही। फल अमृत भा सब उपराहीं।—जायसी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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उपराहना  : स० [हिं० ऊपर+करना] १. औरों से ऊपर या बढ़कर मानना। २. प्रशंसा करना। सराहना। उदाहरण—आम जो परि कै नवैतराही। फल अमृत भा सब उपराहीं।—जायसी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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उपराही  : क्रि० वि०=ऊपर। वि० उत्तम। श्रेष्ठ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपराही  : क्रि० वि०=ऊपर। वि० उत्तम। श्रेष्ठ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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उपरि  : अव्य० [सं० ऊर्ध्व+रिल्, उपादेश] १. ऊपर। उदाहरण—सैलोपरि सर सुंदर सोहा।—तुलसी। २. उपरांत। बाद।
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उपरि  : अव्य० [सं० ऊर्ध्व+रिल्, उपादेश] १. ऊपर। उदाहरण—सैलोपरि सर सुंदर सोहा।—तुलसी। २. उपरांत। बाद।
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उपरि-चित  : वि० [स० त०] १. ऊपर रखा हुआ। २. सजा हुआ। सज्जित।
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उपरि-चित  : वि० [स० त०] १. ऊपर रखा हुआ। २. सजा हुआ। सज्जित।
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उपरिचर  : वि० [सं० उपरि√चर्(गति)+ट] ऊपर चलनेवाला। पु० चिड़िया। पक्षी।
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उपरिचर  : वि० [सं० उपरि√चर्(गति)+ट] ऊपर चलनेवाला। पु० चिड़िया। पक्षी।
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उपरिष्ट  : पुं० [सं० ] पराँठा नामक पकवान।
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उपरिष्ट  : पुं० [सं० ] पराँठा नामक पकवान।
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उपरी-उपरा  : स्त्री० चढ़ा-ऊपरी। उदाहरण—रन मारि मक उपरी-उपरा भले बीर रघुप्पति रावन के।-तुलसी।
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उपरी-उपरा  : स्त्री० चढ़ा-ऊपरी। उदाहरण—रन मारि मक उपरी-उपरा भले बीर रघुप्पति रावन के।-तुलसी।
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उपरुद्ध  : वि० [सं० उप√रुध्(रोकना)+क्त] १. रोका हुआ। २. घेरा हुआ। ३. बंधन में डाला या पड़ा हुआ। बद्ध।
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उपरुद्ध  : वि० [सं० उप√रुध्(रोकना)+क्त] १. रोका हुआ। २. घेरा हुआ। ३. बंधन में डाला या पड़ा हुआ। बद्ध।
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उपरैना  : पुं० [स्त्री० उपरैनी] =उपरना (दुपट्टा)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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उपरैना  : पुं० [स्त्री० उपरैनी] =उपरना (दुपट्टा)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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उपरोक्त  : वि०=उपर्युक्त।
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उपरोक्त  : वि०=उपर्युक्त।
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उपरोध  : पुं० [सं० उप√रुध् (रोकना)+घञ्] १. ऐसी बात जिससे होता हुआ कार्य रुक जाय। बाधा। २. आच्छादन। ढकना।
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उपरोध  : पुं० [सं० उप√रुध् (रोकना)+घञ्] १. ऐसी बात जिससे होता हुआ कार्य रुक जाय। बाधा। २. आच्छादन। ढकना।
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उपरोधक  : वि० [सं० उप√रुध्+ण्वुल्-अक] रोकनेवाला। बाधा डालनेवाला। पुं० कोठरी के अंदर की कोठरी।
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उपरोधक  : वि० [सं० उप√रुध्+ण्वुल्-अक] रोकनेवाला। बाधा डालनेवाला। पुं० कोठरी के अंदर की कोठरी।
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उपरोधन  : पुं० [सं० उप√रुध्+ल्युट-अन] १. रोकना या बाधा डालना। २. रुकावट। बाधा। ३. घेरा।
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उपरोधन  : पुं० [सं० उप√रुध्+ल्युट-अन] १. रोकना या बाधा डालना। २. रुकावट। बाधा। ३. घेरा।
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उपरोधी (धिन्)  : पुं० [सं० उप√रुध्+णिनि] बाधा डालनेवाला। रोकनेवाला।
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उपरोधी (धिन्)  : पुं० [सं० उप√रुध्+णिनि] बाधा डालनेवाला। रोकनेवाला।
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उपरोहित  : पुं०=पुरोहति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपरोहित  : पुं०=पुरोहति।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपरोहिती  : स्त्री०=पुरोहिती।
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उपरोहिती  : स्त्री०=पुरोहिती।
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उपरौछा  : क्रि० वि० [हिं० ऊपर+औछा (प्रत्य)] ऊपर की ओर। वि० ऊपर की ओर का। ऊपरी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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उपरौछा  : क्रि० वि० [हिं० ऊपर+औछा (प्रत्य)] ऊपर की ओर। वि० ऊपर की ओर का। ऊपरी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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उपरौटा  : पुं० दे० ‘उपल्ला’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपरौटा  : पुं० दे० ‘उपल्ला’।
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उपरौठा  : वि० -उपरौटा (उपल्ला)। पुं०=पराँवठा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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उपरौठा  : वि० -उपरौटा (उपल्ला)। पुं०=पराँवठा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपरौना  : पुं०=उपरना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपरौना  : पुं०=उपरना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उपर्युक्त  : वि० [सं० उपरि-उक्त, स० त०] १. ऊपर या पहले कहा हुआ। २. जिसका उल्लेख या चर्चा पहले या ऊपर हो चुकी हो। (एफोरसेड)
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उपर्युक्त  : वि० [सं० उपरि-उक्त, स० त०] १. ऊपर या पहले कहा हुआ। २. जिसका उल्लेख या चर्चा पहले या ऊपर हो चुकी हो। (एफोरसेड)
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