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उभरना  : अ० [सं० उद्भरण, प्रा० उब्भरण] १. नीचे के तल से उठ या निकलकर ऊपर आना। जैसे—अंकुर उभरना। २. किसी आधार या समतल स्तर से कुछ-कुछ या धीरे-धीरे ऊपर उठना या बढ़ना। जैसे—गिल्टी, फोड़ा या स्तन उभरना। ३. ऊपर उठकर या किसी प्रकार उत्पन्न होकर अनुभूत या प्रत्यक्ष होना। उठना जैसे—दरद उभरना, बात उभरना। ४. इस प्रकार आगे आना या बढ़ना कि लोगों की दृष्टि में कुछ खटकने लगे। जैसे—आज-कल कुछ नये गुंडे (या रईस) उबरे हैं। ५. उत्पात, उपद्रव, विद्रोह आदि के क्षेत्रों में प्रकट या प्रत्यक्ष होना। जैसे—किसी पर-तन्त्र देश या प्रजा का उभरना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उभरना  : अ० [सं० उद्भरण, प्रा० उब्भरण] १. नीचे के तल से उठ या निकलकर ऊपर आना। जैसे—अंकुर उभरना। २. किसी आधार या समतल स्तर से कुछ-कुछ या धीरे-धीरे ऊपर उठना या बढ़ना। जैसे—गिल्टी, फोड़ा या स्तन उभरना। ३. ऊपर उठकर या किसी प्रकार उत्पन्न होकर अनुभूत या प्रत्यक्ष होना। उठना जैसे—दरद उभरना, बात उभरना। ४. इस प्रकार आगे आना या बढ़ना कि लोगों की दृष्टि में कुछ खटकने लगे। जैसे—आज-कल कुछ नये गुंडे (या रईस) उबरे हैं। ५. उत्पात, उपद्रव, विद्रोह आदि के क्षेत्रों में प्रकट या प्रत्यक्ष होना। जैसे—किसी पर-तन्त्र देश या प्रजा का उभरना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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