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क्रतु-राज  : पुं० [ष० त०] १. ऐसा यज्ञ जो सब यज्ञों में श्रेष्ठ माना जाय। २. राजसूय यज्ञ। ३. अश्वमेघ यज्ञ।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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