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चारित  : भू० कृ० [सं० चर्+णिच्+क्त] १. जो चलाया गया हो। चलाया हुआ। गतिमान किया हुआ। २. भभके आदि से उतारा या खींचा हुआ। जैसे– चारित आसव। पुं० आरा(लकड़ी चीरने का)। पुं०=चारा (पशुओं का भोजन)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
चारितार्थ्य  : पुं० [सं० चरितार्थ+ष्यञ] चरितार्थ होने की अवस्था या भाव। चरितार्थता।
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चारित्र  : पुं० [सं० चरित्र+अण्] १. किसी कुल या वंश में परम्परा से चला आया हुआ आचार-व्यवहार। कुल की रीति। २. अच्छा चाल चलन। सदाचार। ३. रीति-व्यवहार। ४. मरुत् गणों में से एक। ५. स्त्री का पातिव्रत या सतीत्व। ६. संन्यास। (जैन)
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चारित्र-विनय  : पुं० [तृ० त०] आचरण या चरित्र द्वारा नम्र और विनीत भाव-प्रदर्शन। शिष्टाचार। नम्रता।
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चारित्रवती  : स्त्री० [सं० चारित्र+मातुप्, वत्व, डीप्] योग में एक प्रकार की समाधि।
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चारित्रा  : स्त्री० [सं० चारित्र+अच्-टाप्] इमली।
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चारित्रिक  : वि० [सं० चारित्र+ठक्-इक्] १. चरित्र-संबधी। २. अच्छे चरित्रवाला।
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चारित्रिकता  : स्त्री० [सं० चारित्रिक+तल्-टाप्] १. अच्छा चरित्र । २. चरित्र-चित्रण की कला या कौशल।
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चारित्री(त्रिन्)  : वि० [सं० चरित्र+इनि] अच्छे चरित्रवाला। सदाचारी।
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चारित्र्य  : पुं० [सं० चरित्र+ष्यञ] चरित्र। आचरण।
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