शब्द का अर्थ
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जमाँ :
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पुं० [अ०] जमाना का वह संक्षिप्त रूप जो उसे यौगिक शब्दों के अंत में प्राप्त होता है। जैसे–खलोलुलजमाँ, रुस्तमेजमाँ आदि। |
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जमा :
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वि० [अ० जमऽ] १. बचा अथवा जोड़कर रखा हुआ (धन)। जैसे–दो वर्षों में मैंने केवल सौ रुपये मुश्किल से जमा किए हैं। पद–कुल जमा=सब मिलाकर। कुल। जैसे–कुल जमा वहाँ दस आदमी आये थे। २. देन अथवा पावने के रूप में दिया अथवा प्राप्त होनेवाला (धन)। जैसे–(क) सदस्यों का चंदा जमा हो गया है। (ख) २॰ रुपया इनका गेहूँ मद्दे जमा क लो। ३. (धन आदि) सुरक्षा के लिए किसी के पास अमानत रूप में रखा हुआ। जैसे–बैंक में रुपये जमा करना। ४. किसी खाते के आय पक्ष में लिखा हुआ। स्त्री० [अ०] १. मूलधन। पूँजी। २. धन। रुपया-पैसा। मुहावरा–जमा मारना=अनुचित रीति से किसी का धन हजम कर लेना। ३. भूमिकर। मालगुजारी। ४. जोड़ (गणित) ५. खाते या बही का वह भाग या कोष्ठक जिसमें प्राप्त धन का ब्योरा दिया जाता है। ६. व्याकरण में किसी शब्द का बहुवचन रूप। जैसे–खबर की जमा अखबार है। |
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जमाई :
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पुं० [सं० जामातृ] जँवाई। स्त्री० [हिं० जमाना] जमाने की क्रिया, भाव या मजदूरी। |
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जमाखर्च :
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पुं० [फा० जमा+खर्च] १. आय और व्यय। २. आय और व्यय का हिसाब और मद। मुहावरा–जमा खर्च=किसी के यहाँ से आई हुई रकम जमा करके उसके नाम पड़ी हुई रकम का हिसाब पूरा करना। |
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जमाजथा :
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स्त्री० [हिं० जमा+गथ-पूँजी] धन-संपत्ति। नगदी और माल। |
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जमात :
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स्त्री० [अ० जमाअत] १. कक्षा (विद्यार्थियों की)। २. समुदाय या संघ (व्यक्तियों का) ३. गरोह। |
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जमादार :
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पुं० [फा०] [भाव० जमादारी] छोटे कर्मचारियों के कार्यों का निरीक्षक एक अधिकारी। जैसे–सेना या सिपाहियों का जमादार, भंगियों या जमदूरों का जमादार। |
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जमादारी :
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स्त्री० [अ०] जमादार का कार्य या पद। |
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जमान :
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पुं० [फा० जामिन] जमानतदार। |
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जमानत :
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स्त्री० [अ०] १. जिम्मेदारी। २. वह जिम्मेदारी जो इस रूप में ली जाती है कि या कोई व्यक्ति विशेष समय पर कोई काम नहीं करेगा तो उसका दण्ड या हरजाना हम देगें। जैसे–अदालत ने एक हजार की जमानत पर इसे छोड़ने को कहा है। २. वह धन जो किसी की जिम्मेदारी लेते समय किसी अधिकारी के पास जमा किया जाता है। |
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जमानतनामा :
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पुं० [अ० जमानत+फा० नामा] वह लिखा हुआ कागज जो जमानतदार जमानत के प्रमाण में लिखकर देता है। |
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जमानती :
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पुं० [अ० जमानत+ई (प्रत्यय)] जमानत करनेवाला व्यक्ति। वह जो जमानत करे। जार्मिन। जिम्मेदार। वि० १. जमानत संबंधी। २. जो जमानत के रूप में हो। |
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जमाना :
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स० [हिं० जमना का स० रूप] १. किसी तरल पदार्थ को शीत पहुँचाकर अथवा और किसी प्रक्रिया से ठोस बनाना। जैसे–दही या बरफ जमाना। २. एक वस्तु को दूसरी वस्तु पर दृढ़तापूर्वक स्थित करना या बैठाना। जैसे–दीवार पर पत्थर जमाना। ३. अच्छी तरह चलने के योग्य बनाना। जैसे–रोजगार या वकालत जमाना। ४.ऐसे ढंग से कोई काम करना कि वह यथेष्ट प्रभावशाली सिद्ध हो। जैसे–खेल या महफिल जमाना। ५. कोई काम अच्छी तरह कर सकने की योग्यता प्राप्त करने के लिए बराबर उसका अभ्यास या संपादन करना। जैसे–लिखने में हाथ जमाना। ७. अच्छी तरह या जोर लगाकर प्रहार करना। जैसे–थप्पड़ या मुक्का जमाना। पुं० [अ० जमानः] १. काल। समय। पद–जमाने की गर्दिश=समय का फेर। मुहावरा–(किसी का) जमाना बदलना या पलटना=किसी की अवस्था या स्थिति बदल जाना। २. सौभाग्य का समय। जैसे–उनका भी जमाना था। ३. सारी सृष्टि। संसार। मुहावरा–जमाना देखना=संसार की गति विधियाँ देखना। जमाना देखे होना-संसार की गति-विधियों का ज्ञान होना। अनुभवी होना। पद–जमाने भर का=संसार में जितना हो सकता हो उतना सब। बहुत अधिक। जैसे–उन्हें तो जमाने भर का सुख चाहिए। ४. संसार के लोग। जैसे–जमाना जो चाहे सो कहे आप किसी की नहीं सुनेगें। |
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जमानासाज :
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वि० [फा०] [भाव० जमानासाजी] १. (व्यक्ति) जो समय विशेष के अनुकूल अपने को ढाल सके। २. विभिन्न परिस्थितियों में विभिन्न रूप धारण करनेवाला। |
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जमाबंदी :
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स्त्री० [अ०+फा०] पटवारी का वह खाता जिसमें असामियों के नाम, उनसे मिलनेवाले लगान की रकमें आदि लिखी जाती हैं। |
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जमामार :
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वि० [हिं० जमा+मारना] दूसरों की संपत्ति अनुचित रूप से ले लेनेवाला। |
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जमाल :
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पुं० [अ०] १. बहुत सुन्दर रूप। २. सौंदर्य। खूबसूरती। |
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जमालगोटा :
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पुं० [सं० जयपाल] एक पौधा जिसका बीज बहुत अधिक रेचक होता है। जयपाल। दंतीफल। |
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जमाली :
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वि० [अ०] सुन्दर रूपवाला। |
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जमाव :
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पुं० [हिं० जमाना] १. एक स्थान पर बहुत-सी चीजों या व्यक्तियों के इकट्ठे होने की अवस्था या भाव। २. जमने, जमाने या जमे होने की अवस्था या भाव। |
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जमावट :
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स्त्री० [हिं० जमाना] जमने या जमाने की क्रिया या भाव। |
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जमावड़ा :
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पुं० [हिं० जमना-एकत्र होना] एक स्थान पर इकटेठे होने वाले व्यक्तियों का समूह। |
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