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जेब  : पुं० [फा०] कमीज, कुरते, कोट आदि में प्रायः अन्दर की ओर लगी हुई वह थैली जिसमें छोटी-मोटी चीजें रखी जाती है। खीसा। स्त्री० [फा० जेब] १. शोभा। फबन। २. प्रोत्साहन। बढावा। (क्व०) क्रि० प्र०–देना।–पाना। अव्य०=जिमि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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जेब खरच  : पुं० [हिं०] वह धन जो निजी या वैयक्तिक (पारिवारिक से भिन्न) आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय किया जाता हो, अथवा किसी को मिलता हो।
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जेबकट  : पुं०=जेबकतरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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जेबकतरा  : पुं० [हिं० जेब+कतरना] वह व्यक्ति जो दूसरों के जेब काट कर उनमें से रुपये-पैसे निकाल लेता हो।
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जेबघड़ी  : स्त्री० [फा० जेब+हिं० घड़ी] जेब में रखी जानेवाली चिपटी गोल घड़ी।
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जेबदार  : वि० [फा०] शोभा से युक्त। सुन्दर।
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जेबरा  : पुं०=जेबरा (पशु)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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जेबा  : पुं० [?] जिरह बख्तर। कवच। उदाहरण–जेबा खोलि राग सों मढ़े। लेजिम घालि इराकिन्ह चढ़े।–जायसी। पुं०=जेब।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि० [फा० जेबा] शोभाजनक।
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जेबी  : वि० [फा०] १ जो साधारणतः जेब में रखा जाता हो या रहता हो। जैसे–जेबी घड़ी, जेबी रुमाल। २. जो इतना छोटा हो कि जेब में रखा जा सके जैसे–किताब का जेबी संस्करण।
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