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दोश  : पुं० [देश०] एक प्रकार का लाख जिसका व्यवहार रंग बनाने में होता है। पुं० [फा०] कंधा। पुं०=दोष।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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दोशमाल  : पुं० [फा०] वह अँगोछा या तौलिया जो कसाई अपने पास कंधे पर रखते हैं।
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दोशाखा  : पुं० [फा० दुशाखः] १. वह शमादान जिसमें दो बत्तियाँ जलती हों। २. लकड़ी का वह उपकरण जिसमें दो छोटी लकड़ियों के बीच में कपड़ा लगा रहता है और जिसमें पीसी हुई भंग, दूध आदि छानते हैं। वि० दो शाखाओं या डालोंवाला।
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दोशाला  : पुं०=दुशाला। पुं० [फा० दुशालः] एक प्रकार की बढ़िया कामदार ऊनी चादर।
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दोशीजगी  : स्त्री० [फा० दोशीज़गी] १. लड़कियों की कुमारावस्था। कौमार्य। २. अल्हड़पन।
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दोशीज़ा  : स्त्री० [फा० दोशीज़ा] १. कुमारी कन्या। २. अल्हड़ लड़की।
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