शब्द का अर्थ
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नैक :
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वि० [सं० न-एक, सहसुपा स०]१. जो एक नहीं, बल्कि उससे कुछ अधिक हो। अनेक। २. जो अकेला न हो। पुं० विष्णु। वि०, अव्य०=नेक (जरा या थोड़ा)। |
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समानार्थी शब्द-
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नैक-भेद :
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वि० [सं० ब० स०] विभिन्न प्रकार का। अलग तरह का। |
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नैक-श्रृंग :
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पुं० [सं० ब० स०] विष्णु। |
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नैकचर :
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वि० [सं० नैक√चर् (गति)+ट] जो अकेला न चलता हो। फलतः झुंडों में रहनेवाला। जैसे-भेड़, हाथी, हिरन आदि। |
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नैकटिक :
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वि० [सं० निकट+ठक—इक]निकटवर्ती पास का। |
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नैकट्य :
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पुं० [सं० निकट+ष्यञ्]निकटता नजदीकी। |
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नैकधा :
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अव्य० [सं० नैकधाच्] अनेक प्रकारों से। अनेर रूपों में। |
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नैकषेय :
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पुं० [सं० निकषा+ढक्–एय] रावण की माता,निकषा के वंशज। |
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नैकृतिक :
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वि० [सं० निकृतिठक्-इक] दूसरों की हानि करके निष्ठुरतापूर्वक जीविका चलानेवाला। २. कटु बातें कहनेवाला। कटु-भाषी। |
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