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पलक  : स्त्री० [फा०] १. आँख के ऊपर का वह पतला आवरण जिसके अगले भाग में बालों की पर्त या बरौनी होती है और जिसके गिरने से आँख बंद होती और उठने से आँख खुलती है। क्रि० प्र०—उठना।—गिरना। मुहा०—पलक झपकना=पलक का क्षण भर के लिए या एक बार नीचे की ओर गिरना। पलक (या पलकों) पर पानी फिरना=आँखों में जल भर आना। उदा०—रोषिहि रोष भरे दृग तरै फिरै पलक भर पानी।—सूर। पलक पसीजना=(क) आँखों में आँसू आना। (ख) किसी के प्रति करुणा या दया उत्पन्न होना। पलक भाँजना=(क) पलक गिराना या हिलाना। (ख) पलकें हिलाकर इशारा या संकेत करना। पलक मारना=(क) पलक झपकाना या गिराना। (ख) पलक हिलाकर इशारा या संकेत करना। पलक लगना=हलकी-सी नींद आना या निद्रा का आरंभ होना। झपकी आना। जैसे—दो दिन से रोगी की पलक नहीं लगी है। पलक से पलक न लगना=नाम को भी कुछ नींद न आना। पलक से पलक न लगाना=देखने के लिए टकटकी लगाना या आँख बंद न होने देना। (किसी के रास्ते में या किसी के लिए) पलकें बिछाना=किसी का अत्यंत आदर और प्रेम से स्वागत तथा सत्कार करना। पलकें मुँदना=मृत्यु होना। मरना। पलकों से जमीन झाड़ना या तिनके चुनना=(क) अत्यंत श्रद्धा तथा भक्ति से किसी की सेवा करना। (ख) किसी को संतुष्ट और सुखी करने के लिए पूर्ण मनोयोग से प्रयत्न करना। जैसे—मैं आप के लिए पलकों से तिनके चुनूँगा। विशेष—इस मुहावरे का मुख्य आशय यह है कि चलने-फिरने, उठने-बैठने की जगह या रास्ते में कुछ भी कष्ट न होने पावे। पद—पलक झपकते या मारते=अत्यंत अल्प समय में। निमेष मात्र में। जैसे—पलक झपकते ही कुछ दूसरा दृश्य दिखाई पड़ा। पुं० [हिं० पल+एक] १. एक ही पल या क्षण भर का समय। उदा०—कोटि करम फिरे पलक में, जो रंचक आये नाँव।—कबीर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पलक  : स्त्री० [फा०] १. आँख के ऊपर का वह पतला आवरण जिसके अगले भाग में बालों की पर्त या बरौनी होती है और जिसके गिरने से आँख बंद होती और उठने से आँख खुलती है। क्रि० प्र०—उठना।—गिरना। मुहा०—पलक झपकना=पलक का क्षण भर के लिए या एक बार नीचे की ओर गिरना। पलक (या पलकों) पर पानी फिरना=आँखों में जल भर आना। उदा०—रोषिहि रोष भरे दृग तरै फिरै पलक भर पानी।—सूर। पलक पसीजना=(क) आँखों में आँसू आना। (ख) किसी के प्रति करुणा या दया उत्पन्न होना। पलक भाँजना=(क) पलक गिराना या हिलाना। (ख) पलकें हिलाकर इशारा या संकेत करना। पलक मारना=(क) पलक झपकाना या गिराना। (ख) पलक हिलाकर इशारा या संकेत करना। पलक लगना=हलकी-सी नींद आना या निद्रा का आरंभ होना। झपकी आना। जैसे—दो दिन से रोगी की पलक नहीं लगी है। पलक से पलक न लगना=नाम को भी कुछ नींद न आना। पलक से पलक न लगाना=देखने के लिए टकटकी लगाना या आँख बंद न होने देना। (किसी के रास्ते में या किसी के लिए) पलकें बिछाना=किसी का अत्यंत आदर और प्रेम से स्वागत तथा सत्कार करना। पलकें मुँदना=मृत्यु होना। मरना। पलकों से जमीन झाड़ना या तिनके चुनना=(क) अत्यंत श्रद्धा तथा भक्ति से किसी की सेवा करना। (ख) किसी को संतुष्ट और सुखी करने के लिए पूर्ण मनोयोग से प्रयत्न करना। जैसे—मैं आप के लिए पलकों से तिनके चुनूँगा। विशेष—इस मुहावरे का मुख्य आशय यह है कि चलने-फिरने, उठने-बैठने की जगह या रास्ते में कुछ भी कष्ट न होने पावे। पद—पलक झपकते या मारते=अत्यंत अल्प समय में। निमेष मात्र में। जैसे—पलक झपकते ही कुछ दूसरा दृश्य दिखाई पड़ा। पुं० [हिं० पल+एक] १. एक ही पल या क्षण भर का समय। उदा०—कोटि करम फिरे पलक में, जो रंचक आये नाँव।—कबीर।
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पलक-दरिया  : वि० [हिं० पलक+दरिया] बहुत बड़ा दानी। अति उदार।
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पलक-दरिया  : वि० [हिं० पलक+दरिया] बहुत बड़ा दानी। अति उदार।
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पलक-दरियाव  : वि०=पलक-दरिया।
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पलक-दरियाव  : वि०=पलक-दरिया।
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पलक-पीटा  : पुं० [हिं० पलक+पीटना] १. बरौनिया झड़ने का एक रोग। २. वह जिसे उक्त रोग हो।
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पलक-पीटा  : पुं० [हिं० पलक+पीटना] १. बरौनिया झड़ने का एक रोग। २. वह जिसे उक्त रोग हो।
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पलकनेवाज  : वि० [हिं० पलक+फा० निवाज़] क्षण भर में निहाल कर देनेवाला। बहुत बड़ा दानी। पलक-दरिया।
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पलकनेवाज  : वि० [हिं० पलक+फा० निवाज़] क्षण भर में निहाल कर देनेवाला। बहुत बड़ा दानी। पलक-दरिया।
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पलकर्ण  : पुं० [सं०] धूपघड़ी के शंकु की उस समय की छाया की लंबाई जब मेष संक्रांति के मध्याह्नकाल में सूर्य ठीक विषुवत् रेखा पर होता है।
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पलकर्ण  : पुं० [सं०] धूपघड़ी के शंकु की उस समय की छाया की लंबाई जब मेष संक्रांति के मध्याह्नकाल में सूर्य ठीक विषुवत् रेखा पर होता है।
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पलका  : पुं० [स्त्री० अल्पा० पलकी]=पलंग।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पलका  : पुं० [स्त्री० अल्पा० पलकी]=पलंग।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पलकिया  : स्त्री० [हिं० पलकी] १. पालकी। २. हाथी पर रखने का एक प्रकार का छोटा हौदा। उदा०—पलकिया में बहुत मुलायम गद्दी तकिए लगा दिए गए हैं और हाथी बहुत धीमे चलाया जायगा।—वृंदावनलाल वर्मा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पलकिया  : स्त्री० [हिं० पलकी] १. पालकी। २. हाथी पर रखने का एक प्रकार का छोटा हौदा। उदा०—पलकिया में बहुत मुलायम गद्दी तकिए लगा दिए गए हैं और हाथी बहुत धीमे चलाया जायगा।—वृंदावनलाल वर्मा।
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पलक्या  : स्त्री० [सं० पलक+यत्+टाप्] पालक।
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पलक्या  : स्त्री० [सं० पलक+यत्+टाप्] पालक।
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पलक्ष  : वि० [सं०=पलक्ष, पृषो० सिद्धि] श्वेत। सफेद। पुं० सफेद रंग।
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पलक्ष  : वि० [सं०=पलक्ष, पृषो० सिद्धि] श्वेत। सफेद। पुं० सफेद रंग।
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