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पहर  : पुं० [सं० प्रहर] १. समय के विचार से दिन-रात के किये हुए आठ समान भागों में से हर एक जो तीन-तीन घंटों का होता है। २. समय। ३. युग।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पहर  : पुं० [सं० प्रहर] १. समय के विचार से दिन-रात के किये हुए आठ समान भागों में से हर एक जो तीन-तीन घंटों का होता है। २. समय। ३. युग।
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पहरना  : स० [सं० प्र+हरण] नष्ट करना। उदा०—जिड़ि पहरंतैं नवी परि।—प्रिथीराज। स०=पहनना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पहरना  : स० [सं० प्र+हरण] नष्ट करना। उदा०—जिड़ि पहरंतैं नवी परि।—प्रिथीराज। स०=पहनना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पहरा  : पुं० [हिं० पहर] १. ऐसी अवस्था या स्थिति जिसमें किसी आदमी, चीज या जगह की रखवाली करने अथवा अपघात, हानि आदि रोकने के लिए एक या अधिक आदमी नियुक्त किये जाते हैं। इस बात का ध्यान रखने का प्रबंध कि कहीं कोई अनुचित रूप से आ-जा न सके अथवा आज्ञा, नियम, विधान आदि के विरुद्ध कोई काम न करने पावे। चौकी। रखवाली। विशेष—(क) पहले प्रायः इस प्रकार की देख-रेख करनेवाले लोग एक एक पहर के लिए नियुक्त किये जाते थे; इसी से उक्त अर्थ में ‘पहरा’ शब्द प्रचलित हुआ था। (ख) पहरे का काम प्रायः एक स्थान पर खड़े होकर, थोड़ी-सी दूरी में इधर-उधर आ-जाकर अथवा किसी विशिष्ट क्षेत्र में चारों ओर घूम-घूमकर किया जाता है। मुहा०—पहरा देना=घूम-घूमकर बराबर यह देखते रहना कि कहीं कोई अनुचित रूप से आ तो नहीं रहा है या कोई अनुचित काम तो नहीं कर रहा है। पहरा पड़ना=ऐसी अवस्था होना कि कहीं कुछ लोग पहरा देते रहें। जैसे—रात के समय शहरों में जगह-जगह पहरा पड़ता है। पहरा बदलना=एक पहरेदार के पहरे का समय बीत जाने पर उसके स्थान पर दूसरे पहरेदार का आना। पहरा बैठना=किसी वस्तु या व्यक्ति के पास पहरेदार या रक्षक बैठाया जाना। चौकीदार को पहरे के काम पर लगाना। पहरा बैठाना=पहरा देने के काम पर किसी को लगाना। (किसी को) पहरे में देना=किसी को इस उद्देश्य से पहरेदारों की देख-रेख में रखना कि वह कहीं भागने, किसी से मिलने-जुलने या कोई अनुचित काम न करने पावे। २. उतना समय जितने में एक रक्षक अथवा रक्षक-दल को रक्षा-कार्य करना पड़ता है। जैसे—तुम्हारे पहले में तो कोई यहाँ नहीं आया था। ३. कोई पहरेदार या पहरेदारों का कोई दल। जैसे—जब तक नया पहरा न आवे, तब तक तुम (या तुम लोग) यहीं रहना। ४. वह जोर की आवाज से पहरेदार लोगों को सावधान करने या रहने के लिए रह-रहकर देता या लगाता रहता है। जैसे—कल रात को इस महल्ले में पहरा नहीं सुनाई पड़ा। ५. कुछ विशिष्ट प्रकार का काल या समय। जामाना। युग। जैसे—अभी क्या है! अभी तो इससे भी बुरा पहरा आवेगा। पुं० [हिं० पौरा का विकृत रूप] किसी विशेष व्यक्ति के अस्तित्व, आगमन, सत्ता आदि का काल या समय। पौरा। जैसे—जब से इस लड़की का पहरा (पौरा) इस घर में आया है, तब से इस घर में लहर-बहर दिखाई देने लगी है।
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पहरा  : पुं० [हिं० पहर] १. ऐसी अवस्था या स्थिति जिसमें किसी आदमी, चीज या जगह की रखवाली करने अथवा अपघात, हानि आदि रोकने के लिए एक या अधिक आदमी नियुक्त किये जाते हैं। इस बात का ध्यान रखने का प्रबंध कि कहीं कोई अनुचित रूप से आ-जा न सके अथवा आज्ञा, नियम, विधान आदि के विरुद्ध कोई काम न करने पावे। चौकी। रखवाली। विशेष—(क) पहले प्रायः इस प्रकार की देख-रेख करनेवाले लोग एक एक पहर के लिए नियुक्त किये जाते थे; इसी से उक्त अर्थ में ‘पहरा’ शब्द प्रचलित हुआ था। (ख) पहरे का काम प्रायः एक स्थान पर खड़े होकर, थोड़ी-सी दूरी में इधर-उधर आ-जाकर अथवा किसी विशिष्ट क्षेत्र में चारों ओर घूम-घूमकर किया जाता है। मुहा०—पहरा देना=घूम-घूमकर बराबर यह देखते रहना कि कहीं कोई अनुचित रूप से आ तो नहीं रहा है या कोई अनुचित काम तो नहीं कर रहा है। पहरा पड़ना=ऐसी अवस्था होना कि कहीं कुछ लोग पहरा देते रहें। जैसे—रात के समय शहरों में जगह-जगह पहरा पड़ता है। पहरा बदलना=एक पहरेदार के पहरे का समय बीत जाने पर उसके स्थान पर दूसरे पहरेदार का आना। पहरा बैठना=किसी वस्तु या व्यक्ति के पास पहरेदार या रक्षक बैठाया जाना। चौकीदार को पहरे के काम पर लगाना। पहरा बैठाना=पहरा देने के काम पर किसी को लगाना। (किसी को) पहरे में देना=किसी को इस उद्देश्य से पहरेदारों की देख-रेख में रखना कि वह कहीं भागने, किसी से मिलने-जुलने या कोई अनुचित काम न करने पावे। २. उतना समय जितने में एक रक्षक अथवा रक्षक-दल को रक्षा-कार्य करना पड़ता है। जैसे—तुम्हारे पहले में तो कोई यहाँ नहीं आया था। ३. कोई पहरेदार या पहरेदारों का कोई दल। जैसे—जब तक नया पहरा न आवे, तब तक तुम (या तुम लोग) यहीं रहना। ४. वह जोर की आवाज से पहरेदार लोगों को सावधान करने या रहने के लिए रह-रहकर देता या लगाता रहता है। जैसे—कल रात को इस महल्ले में पहरा नहीं सुनाई पड़ा। ५. कुछ विशिष्ट प्रकार का काल या समय। जामाना। युग। जैसे—अभी क्या है! अभी तो इससे भी बुरा पहरा आवेगा। पुं० [हिं० पौरा का विकृत रूप] किसी विशेष व्यक्ति के अस्तित्व, आगमन, सत्ता आदि का काल या समय। पौरा। जैसे—जब से इस लड़की का पहरा (पौरा) इस घर में आया है, तब से इस घर में लहर-बहर दिखाई देने लगी है।
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पहराइत  : पुं०=पहरेदार। उदा०—पीला भमर किया पहराइत।—प्रिथीराज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पहराइत  : पुं०=पहरेदार। उदा०—पीला भमर किया पहराइत।—प्रिथीराज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पहराना  : स०=पहनाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पहराना  : स०=पहनाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पहरावनी  : स्त्री० [हिं० पहरावना] १. पहनावा। २. वे कपड़े जो किसी शुभ अवसर पर प्रसन्नतापूर्वक छोटों को दिये या पहनाये जाते हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पहरावनी  : स्त्री० [हिं० पहरावना] १. पहनावा। २. वे कपड़े जो किसी शुभ अवसर पर प्रसन्नतापूर्वक छोटों को दिये या पहनाये जाते हैं।
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पहरावा  : पुं०=पहनावा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पहरावा  : पुं०=पहनावा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पहरी  : पुं०=प्रहरी (पहरेदार)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पहरी  : पुं०=प्रहरी (पहरेदार)।
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पहरुआ  : पुं०=पहरेदार।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पहरुआ  : पुं०=पहरेदार।
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पहरू  : पुं०=पहरेदार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पहरू  : पुं०=पहरेदार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पहरेदार  : पुं० [हिं० पहरा+फा० दार] [भाव० पहरेदारी] १. वह जिसका काम कहीं खड़े-खड़े या घूम-घूमकर पहरा देना हो। चौकीदार। संतरी। २. वह जो किसी की रक्षा के लिए कटिबद्ध तथा प्रस्तुत हो। जैसे—हम देश के पहरेदार हैं।
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पहरेदार  : पुं० [हिं० पहरा+फा० दार] [भाव० पहरेदारी] १. वह जिसका काम कहीं खड़े-खड़े या घूम-घूमकर पहरा देना हो। चौकीदार। संतरी। २. वह जो किसी की रक्षा के लिए कटिबद्ध तथा प्रस्तुत हो। जैसे—हम देश के पहरेदार हैं।
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पहरेदारी  : स्त्री० [हिं० पहरा+फा० दारी] १. पहरा देने का काम या भाव। २. पहरेदार का पद।
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पहरेदारी  : स्त्री० [हिं० पहरा+फा० दारी] १. पहरा देने का काम या भाव। २. पहरेदार का पद।
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