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शब्द का अर्थ

पिंग  : वि० [सं०√पिञ्ज् (वर्ण)+अच्, कुत्व] १. पीलापन लिये हुए भूरा। सुँघनी के रंग का। २. भूरापन लिये हुए लाल। तामड़ा। पुं० १. भैंसा। २. चूहा। ३. हरताल।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पिंग  : वि० [सं०√पिञ्ज् (वर्ण)+अच्, कुत्व] १. पीलापन लिये हुए भूरा। सुँघनी के रंग का। २. भूरापन लिये हुए लाल। तामड़ा। पुं० १. भैंसा। २. चूहा। ३. हरताल।
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पिंग-कपिशा  : स्त्री० [ब० स० टाप्] गुबरैले के आकार का एक कीड़ा जिसका रंग-काला या तामड़ा होता है। तेलपायी। तेलचटा।
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पिंग-कपिशा  : स्त्री० [ब० स० टाप्] गुबरैले के आकार का एक कीड़ा जिसका रंग-काला या तामड़ा होता है। तेलपायी। तेलचटा।
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पिंग-चक्षु (स्)  : वि० [ब० स०] जिसकी आँखें भूरे या तामड़े रंग की हों। पुं० नक्र या नाक नामक जल-जंतु।
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पिंग-चक्षु (स्)  : वि० [ब० स०] जिसकी आँखें भूरे या तामड़े रंग की हों। पुं० नक्र या नाक नामक जल-जंतु।
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पिंग-सार  : पुं० [ब० स०] हरताल।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पिंग-सार  : पुं० [ब० स०] हरताल।
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पिंग-स्फटिक  : पुं० [कर्म० स०] गोमेदक मणि।
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पिंग-स्फटिक  : पुं० [कर्म० स०] गोमेदक मणि।
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पिंगल  : वि० [सं० पिंग+लच्] १. पीला। २. भूरापन लिये हुए पीला या लाल। तमड़ा। पुं० १. एक प्राचीन मुनि या आचार्य जिन्होंने छंदः सूत्र की रचना की थी। नागमुनि। २. उक्त मुनि का बनाया हुआ छंद शास्त्र। ३. किसी प्रकार का भाषा या छन्द शास्त्र। (प्रॉसोडी) मुहा०—(किसी को) पिंगल पढ़ाना=अपना दोष छिपाने या मतलब निकालने के लिए उलटी-सीधी बातें समझाना। पिंगल साधना=(क) टालमटोल करना। (ख) नखरा करना। इतराना। ४. साठ संवत्सरों में से ५१वाँ संवत्सर। ५. संगीत में, सबेरे के समय गाया जानेवाला एक राग जो भैरव राग का पुत्र कहा गया है। ६. सूर्य का एक गण या पारिपार्श्वक। ७. एक यक्ष का नाम। ८. नौ निधियों में से एक। ९. अग्नि। आग। १॰. नकुल। नेवला। ११. बन्दर। १२. एक प्रकार का यज्ञ। १३. एक प्राचीन पर्वत। १४. पुराणानुसार भारत के उत्तर-पश्चिम का देश। १५. हरताल। १६. उल्लू। १७. पीपल। १८. उशीर। खस। १९. रास्ना। २॰. एक प्रकार का फनदार साँप। २१. एक प्रकार का स्थावर विष। २२. ब्रजभाषा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) विशेष—किसी समय व्रजभाषा में ही अधिकतर काव्यों की रचना होती थी; और वही काव्य की मुख्य भाषा मानी जाती थी; इसी से उसका यह नाम पड़ा था। पुं०=पंगुल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिंगल  : वि० [सं० पिंग+लच्] १. पीला। २. भूरापन लिये हुए पीला या लाल। तमड़ा। पुं० १. एक प्राचीन मुनि या आचार्य जिन्होंने छंदः सूत्र की रचना की थी। नागमुनि। २. उक्त मुनि का बनाया हुआ छंद शास्त्र। ३. किसी प्रकार का भाषा या छन्द शास्त्र। (प्रॉसोडी) मुहा०—(किसी को) पिंगल पढ़ाना=अपना दोष छिपाने या मतलब निकालने के लिए उलटी-सीधी बातें समझाना। पिंगल साधना=(क) टालमटोल करना। (ख) नखरा करना। इतराना। ४. साठ संवत्सरों में से ५१वाँ संवत्सर। ५. संगीत में, सबेरे के समय गाया जानेवाला एक राग जो भैरव राग का पुत्र कहा गया है। ६. सूर्य का एक गण या पारिपार्श्वक। ७. एक यक्ष का नाम। ८. नौ निधियों में से एक। ९. अग्नि। आग। १॰. नकुल। नेवला। ११. बन्दर। १२. एक प्रकार का यज्ञ। १३. एक प्राचीन पर्वत। १४. पुराणानुसार भारत के उत्तर-पश्चिम का देश। १५. हरताल। १६. उल्लू। १७. पीपल। १८. उशीर। खस। १९. रास्ना। २॰. एक प्रकार का फनदार साँप। २१. एक प्रकार का स्थावर विष। २२. ब्रजभाषा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) विशेष—किसी समय व्रजभाषा में ही अधिकतर काव्यों की रचना होती थी; और वही काव्य की मुख्य भाषा मानी जाती थी; इसी से उसका यह नाम पड़ा था। पुं०=पंगुल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिंगला  : स्त्री० [सं० पिंगल+टाप्] १. हठयोग में, सुषुम्ना नाड़ी के बाईं ओर स्थित एक नाड़ी जिससे दक्षिण नासा-पुट का श्वास चलता है। इसमें सूर्य का वास माना गया है। इसलिए इसे सूर्यनाड़ी भी कहते हैं। यह स्वभाव से उष्ण है। इसके अधिष्ठाता देवता विष्णु माने जाते हैं। २. लक्ष्मी। ३. दक्षिण दिशा के दिग्गज की पत्नी। ४. गोरोचन। ५. एक प्रकार की चिड़िया। ६. शीशम का पेड़। ७. राजनीति। ८. भागवत के अनुसार एक प्रसिद्ध भगवद् भक्त वेश्या।
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पिंगला  : स्त्री० [सं० पिंगल+टाप्] १. हठयोग में, सुषुम्ना नाड़ी के बाईं ओर स्थित एक नाड़ी जिससे दक्षिण नासा-पुट का श्वास चलता है। इसमें सूर्य का वास माना गया है। इसलिए इसे सूर्यनाड़ी भी कहते हैं। यह स्वभाव से उष्ण है। इसके अधिष्ठाता देवता विष्णु माने जाते हैं। २. लक्ष्मी। ३. दक्षिण दिशा के दिग्गज की पत्नी। ४. गोरोचन। ५. एक प्रकार की चिड़िया। ६. शीशम का पेड़। ७. राजनीति। ८. भागवत के अनुसार एक प्रसिद्ध भगवद् भक्त वेश्या।
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पिंगलाक्ष  : पुं० [सं० पिंगल+अक्षि, ब० स०, षच्] शिव।
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पिंगलिका  : स्त्री० [सं० पिंगल+कन्+टाप्, इत्व] १. एक प्रकार का बगला। २. एक प्रकार का उल्लू। ३. सुश्रुत के अनुसार एक प्रकार की मक्खी जिसके काटने से जलन और सूजन होती है।
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पिंगलिका  : स्त्री० [सं० पिंगल+कन्+टाप्, इत्व] १. एक प्रकार का बगला। २. एक प्रकार का उल्लू। ३. सुश्रुत के अनुसार एक प्रकार की मक्खी जिसके काटने से जलन और सूजन होती है।
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पिंगलित  : वि० [सं० पिंगल+इतच्] ललाई लिये हुए भूरे रंग का।
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पिंगलित  : वि० [सं० पिंगल+इतच्] ललाई लिये हुए भूरे रंग का।
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पिंगा  : स्त्री० [सं० पिंग+टाप्] १. गोरोचन। २. हलदी। ३. वंशलोचन। ४. हींग। ५. एक रक्त-वाहिनी नाड़ी। ६. चंडिका देवी। वि० १. कोमल। नाजुक। २. कमजोर। दुर्बल। ३. दुबला-पतला। ४. टेढ़े-मेढ़े अंगोंवाला। पुं० वह व्यक्ति जिसके पैर टेढ़े हों।
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पिंगा  : स्त्री० [सं० पिंग+टाप्] १. गोरोचन। २. हलदी। ३. वंशलोचन। ४. हींग। ५. एक रक्त-वाहिनी नाड़ी। ६. चंडिका देवी। वि० १. कोमल। नाजुक। २. कमजोर। दुर्बल। ३. दुबला-पतला। ४. टेढ़े-मेढ़े अंगोंवाला। पुं० वह व्यक्ति जिसके पैर टेढ़े हों।
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पिंगाक्ष  : वि० [पिंग-अक्षि, ब० स०, षच्] [स्त्री० पिंगाक्षी] जिसकी आँखें कुछ ललाई लिये हुए भूरे रंग की हों। पुं० १. शिव। २. नाक या कुंभीर नामक जल-जन्तु। ३. बिड़ाल। बिल्ला।
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पिंगाक्ष  : वि० [पिंग-अक्षि, ब० स०, षच्] [स्त्री० पिंगाक्षी] जिसकी आँखें कुछ ललाई लिये हुए भूरे रंग की हों। पुं० १. शिव। २. नाक या कुंभीर नामक जल-जन्तु। ३. बिड़ाल। बिल्ला।
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पिंगाक्षी  : स्त्री० [सं० पिंगाक्ष+ङीष्] कुमार की अनुचरी एक मातृका।
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पिंगाश  : पुं० [सं पिंग√अश् (व्याप्ति)+अण्] १. एक प्रकार की मछली जिसे बंगाल में पांगाश कहते हैं। २. गाँव का प्रधान या मुखिया। ३. खरा या शुद्ध सोना।
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पिंगाश  : पुं० [सं पिंग√अश् (व्याप्ति)+अण्] १. एक प्रकार की मछली जिसे बंगाल में पांगाश कहते हैं। २. गाँव का प्रधान या मुखिया। ३. खरा या शुद्ध सोना।
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पिंगाशी  : स्त्री० [सं० पिंगाश+ङीष्] नील का पौधा।
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पिंगिमा (मन्)  : स्त्री० [सं० पिंग+इमनिच्] ऐसा भूरापन जिसमें कुछ लाली भी हो।
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पिंगिमा (मन्)  : स्त्री० [सं० पिंग+इमनिच्] ऐसा भूरापन जिसमें कुछ लाली भी हो।
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पिंगी  : स्त्री० [सं० पिंग+ङीष्] १. शमी का पेड़। २. चुहिया।
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पिंगी  : स्त्री० [सं० पिंग+ङीष्] १. शमी का पेड़। २. चुहिया।
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पिंगूरा  : पुं० [हिं० पेंग] छोटा पालना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिंगूरा  : पुं० [हिं० पेंग] छोटा पालना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पिंगेक्षण  : वि० [पिंग-ईक्षण, ब० स०]=पिंगाक्ष। पुं० शिव।
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पिंगेक्षण  : वि० [पिंग-ईक्षण, ब० स०]=पिंगाक्ष। पुं० शिव।
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पिंगेश  : पुं० [पिंग-ईश, कर्म० स०] अग्नि का एक नाम।
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पिंगेश  : पुं० [पिंग-ईश, कर्म० स०] अग्नि का एक नाम।
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