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शब्द का अर्थ

पिशुन  : वि० [सं०√पिश्+उनन्] [भाव० पिशुनता] १. नीच। ३. क्रूर। ३. चुगलखोर। पुं० १. वह प्रेत जो गर्भिणी स्त्रियों को बाधा पहुँचाता हो। २. एक की दूसरे से बुराई करके दो पक्षों में लड़ाई करानेवाला व्यक्ति। ३. केसर। ४. तगर। ५. कपाल। ६. नारद। ७. कौआ।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पिशुन  : वि० [सं०√पिश्+उनन्] [भाव० पिशुनता] १. नीच। ३. क्रूर। ३. चुगलखोर। पुं० १. वह प्रेत जो गर्भिणी स्त्रियों को बाधा पहुँचाता हो। २. एक की दूसरे से बुराई करके दो पक्षों में लड़ाई करानेवाला व्यक्ति। ३. केसर। ४. तगर। ५. कपाल। ६. नारद। ७. कौआ।
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पिशुन-वचन  : पुं० [ष० त०] चुगली।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पिशुन-वचन  : पुं० [ष० त०] चुगली।
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पिशुनता  : स्त्री० [सं० पिशुन+तल्+टाप्] १. पिशुन होने की अवस्था या भाव। २. चुगलखोरी। ३. असबर्ग।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पिशुनता  : स्त्री० [सं० पिशुन+तल्+टाप्] १. पिशुन होने की अवस्था या भाव। २. चुगलखोरी। ३. असबर्ग।
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पिशुना  : स्त्री० [सं० पिशुन+टाप्] चुगलखोरी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पिशुना  : स्त्री० [सं० पिशुन+टाप्] चुगलखोरी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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