शब्द का अर्थ
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फिरक :
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स्त्री० [हिं० फिरना] एक प्रकार की छोटी गाड़ी जिस पर देहाती लोग चीजों को लादकर इधर-उधर ले जाते हैं। (रुहेलखंड)। |
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समानार्थी शब्द-
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फिरकना :
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अ० [हिं० फिरना] १. फिरकी की तरह घूमना। किस अक्ष पर घूमना या चक्कर लगाना। २. थिरकना। नाचना। |
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फिरका :
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पुं० [अ० फिर्क] १. जाति। २. वर्ग। ३. गिरोह। जत्था। ४. पंथ। सम्प्रदाय। ५. अफरीदियों, पख्तूनों आदि में कोई विशिष्ट वर्ग जो अलग जाति के रूप में रहता हो। |
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फिरकी :
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स्त्री० [हिं० फिरकना] १. चमड़े, दफ्ती, धातु आदि का वह गोल या चक्राकार टुकड़ा जो बीच की कीलों को एक स्थान पर टिकाकर उसके चारों ओर घूमता हो। २. लड़कों का एक प्रकार का छोटा खिलौना जो घुमाने से अपनी धुरी पर जोरों से घूमता हुआ चक्कर लगाता है। फिरहरी। भँभीरी। ३. चकई या चकरी नामका खिलौना। ४. धातु, लकड़ी या और किसी चीज का वह गोल टुकड़ा जो चरखे, तकले आदि में लगा रहता है। ५. मालखंभ की एक कसरत जिसमे जिधर के हाथ से मलखंभ लपेटते हैं उसी ओर गर्दन झुकाकर फुर्ती से दूसरे हाथ के कंधे पर मलखंभ को लेते हुए उड़ान करते हैं। ६. कुश्ती का एक दाँव या पेंच। |
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फिरकी दंड :
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पुं० [हिं०] एक प्रकार की कसरत या दंड करते समय दोनों हाथों को जमीन पर जमाकर उनके बीच में से सिर देकर चारों ओर चक्कर लगाते हैं। |
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फिरकेबंदी :
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स्त्री० [फा० फ़िर्कःबंदी] दलबंदी। |
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फिरकैया :
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स्त्री० [हिं० फिरना] १. घूमने या चक्कर लगाने की क्रिया या भाव। उदाहरण—फिरकैया लै निर्त्त अलायन बिच बिच तान रसीली। -ललित किशोरी। २. दे० ‘फिरकी’। |
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