शब्द का अर्थ
|
बगर :
|
पुं० [सं० प्रघण, प्रा० पघम] १. महल। प्रासाद। २. घर। मकान। ३. कमरा। कोठरी। ४. आँगन। सहन। ५. गौए-भैसे आदि बाँधने का स्थान। स्त्री०=बगल। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बगरना :
|
अ० [सं० विकिरण] फैलना। बिखरना। छितराना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बगरवाना :
|
सं० [हिं० बगराना का प्रे० रूप०] किसी को कुछ बगराने अर्थात् बिखेरने में प्रवृत्त करना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बगरा :
|
पुं०=[देश] एक प्रकार की छोटी मछली जो जमीन पर उछलती हुई चलती है। इसे थुमा भी कहते हैं। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बगराना :
|
स० [हिं० बगरना का स० रूप०] बिखेरना। छितराना। अ० बिखरना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बगरिया :
|
स्त्री० [देश] गुजरात, राज्य के कच्छ-काठियावाड़ आदि प्रदेशों में होनेवाली एक तरह की कपास। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
बगरी :
|
पुं० [हिं० बगर का स्त्री० रूप०] १. छोटा महल। २. मकान। बखरी। ३. गौएँ, भैसें आदि बाँधने का छोटा बाड़ा। पुं० [देश] एक प्रकार का धान। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |