शब्द का अर्थ
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					बनज					 :
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					पुं० [स० वनज०] जंगल में होने या रहनेवाला जीव। वि० दे० ‘वनज’। पुं०=वाणिज्य। (व्यापार)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					बनजना					 :
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					सं० [हिं० बनज] १. व्यापार करना। २. किसी के साथ किसी तरह की बात-चीत या लेन-देन निश्चित करना। जैसे—किसी की लड़की के साथ अपना लड़का बनजना (अर्थात् ब्याह पक्का करना)। स० १. व्यापार करने के लिए कोई चीज खरीदना। २. किसी को इस प्रकार वश में करना कि मानो उसे मोल ले लिया गया हो। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					बनजर					 :
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					स्त्री०=बंजर।				 | 
			
			
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					बनजरिया					 :
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					स्त्री० [हि० बन+जारना=जलाना] भूमि का वह टुकड़ा जो जंगल को जला या काटकर खेती-बारी के लिए उपयुक्त बनाया गया हो।				 | 
			
			
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					बनजात					 :
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					पुं० [सं० वनजात०] कमल।				 | 
			
			
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					बनजारा					 :
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					पुं० [हि० वनिक+हारा] १. वह व्यक्ति जो बैलों पर अन्न लादकर बेचने के लिए एक देश से दूसरे देश को जाता है। टाँडा लादनेवाला। व्यक्ति। टँडैया। बंजारा। २. व्यापारी। सौदागर।				 | 
			
			
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					बनजी					 :
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					पुं० [सं० वाणिज्य] १. व्यापार या रोजगार करनेवाला। सौदागर। २. वाणिज्य। व्यापार।				 | 
			
			
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					बनज्योत्स्ना					 :
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					स्त्री० [सं० वनज्योत्स्ना] माधवी लता।				 | 
			
			
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