शब्द का अर्थ
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					बसा					 :
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					स्त्री० [देश] १. बर्रै। भिंड़। २. एक प्रकार की मछली। स्त्री०=वसा (चरबी)।				 | 
			
			
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					बसात					 :
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					स्त्री०=बिसात।				 | 
			
			
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					बसाँधा					 :
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					वि० [हिं० वास=गंध] बासा या सुगंधित किया हुआ। सुवासित।				 | 
			
			
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					बसाना					 :
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					स० [हिं० ‘बसना’ का स०] १. व्यक्ति के संबंध में रहने के लिए घर अथवा जीवन-निर्वाह के लिए उचित साधन या सुभीते देना। जैसे—शरणार्थियों को बसाने के लिए सरकार को बहुत अधिक धन व्यय करना पड़ा है। २. स्थान के संबंध में नये घर आदि बनाकर अथवा गाँव या बस्तियाँ बनाकर उनमें लोगों को स्थिर रूप में रखने की व्यवस्था करना। ३. घर-गृहस्थी या जीवन-यापन के साधनों से युक्त करना। मुहावरा—(अपना) घर बसाना=(क) विवाह करके पत्नी को घर में लाना। (ख) गृहस्थी की सब सामग्री इस प्रकार एकत्र करना कि कुटुम्ब के सब लोग सुख से रह सकें। (किसी का) घर बसाना=किसी का विवाह करा देना। ४. अस्थायी रूप से किसी को कहीं टिकाने या ठहराने की व्यवस्था करना। (क्व०) जैसे—इन यात्रियों को दो दिन लिए अपने यहाँ बसा लो उदाहरण—नुपूर जनि मुनिवर कल-हंसनि, रचे नीड़ दै बाँह बसायो।—तुलसी। ५. स्थिति में लाना। स्तान देना। उदाहरण—सुनि कै सुक सो हृदय बसायौ।—सूर। ६. लाक्षणिक रूप में किसी बात या व्यक्ति का ध्यान अथवा विचार अपने मन में दृढ़तापूर्वक स्थित करना। जैसे—यदि आपका उपेदश हृदय में बसा लोगे तो तुम्हारा बहुत बड़ा कल्याण होगा। ७. स्तापित करना। रखना। ८. बैठाना। (क्व० ) स० [हिं० बास+ना (प्रत्यय)] वास अर्थात् गंद से युक्त करना। जैसे—फूल से तेल बसाना। अ०=बसना। (गंध से युक्त होना) अ० [सं० वश] अधिकार, जोर या वश चलना। शक्ति या सामर्थ्य का काम देना या सफल सिद्द होना। उदाहरण—मिला रहे और ना मिलै तासों कहा बसाय।—कबीर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					बसारत					 :
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					स्त्री० [अ०] १. देखने की शक्ति। दृष्टि। २. अनुभव करने या समझने की शक्ति। समझ।				 | 
			
			
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					बसाव					 :
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					पुं० [हिं० बसना+आव (प्रत्यय)] बसने की अवस्था, क्रिया या भाव। निवास। जैसे—बसाव शहर का, खेत नहर का।—कहा०।				 | 
			
			
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