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शब्द का अर्थ

भुँइ  : स्त्री० [सं० भूमि प्रथ्वी]। भूमि। मुहा०—भुँइ लाना=झुकाना। उदा०—कुंडल गहै सीस भुइ लावा।—जायसी। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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भुँइ आँवला  : पुं० [सं० भूम्यामलक] एक प्रकार की घास जो बरसात में ठंढ़े स्थानों में होती और ओषधि के काम में आती है। भद्रआँवला।
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भुँइ-तरवर  : पुं० [हिं० भुँइ+सं० तरुवर] सनाय की जाति का एक पेड़।
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भुँइकाँड़ा  : पुं० [हिं० भुँइ+कद] समुद्र या जलाश्य के तट पर होनेवाली एक तरह की घास।
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भुँइचाल  : पुं०=भूचाल। (भूकंप)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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भुँइडोल  : पुं० [सं० भुँइ+डोलना] भूकंप। भूचाल।
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भुँइदग्धा  : पुं० [सं० भुँइ+दग्ध] १. वह कर जो भूमि पर चिता जलाने के बदले में मृतक के संबंधियों से लिया जाता है। मसान कर। २. वह कर जो भूमि का मालिक किसी व्यवसायी से व्यवसाय करने के बदले में लेता है।
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भुँइधर  : पुं०=भूमिहार। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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भुँइधरा  : पुं० [हिं० भुँइ+धरना] १. आँवाँ लगाने की वह रीति या ढंग जिसमें बिना गड्ढा खोदे ही भूमि पर बरतन आदि रखकर आग सुलगा देते हैं। २. दे० ‘भुँइहरा’।
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भुँइनास  : पुं० [सं० भून्यास] 1. किसी वस्तु के एक छोर को भूमि में इस प्रकार दबाकर जमाना कि उसका कुछ अंश पृथ्वी के भीतर गड़ जाय। २. किसी चीज का वह अंश जो इस प्रकार से जमीन में गाड़ या धँस जाय। ३. किवाड़ों की वह सिटकनी जो नीचे की ओर पत्थर के गड्ढे में बैठती है। ४. प्रायः खेतों में होनेवाली एक प्रकार की वनस्पति जिसकी जड़ें नहीं होतीं। ५. अनार। ६. दे० ‘भुन्नास’।
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भुँइनासी  : पुं०=भुन्नासी।
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भुँइफोड़  : पुं० [हिं० भुँइ+फोड़ना] बरसात के दिनों में प्रायः दीमकों की बाँबी के पास निकालने वाला एक तरह का कुकुरमुत्ता। गरजुआ।
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भुँइहरा  : पुं० [हिं० भुँइ+घर] १. वह स्थान जो भूमि के नीचे खोदकर बनाया गया हो। २. मकान की कुर्सी के नीचे बना हुआ कमरा। तहखाना। ३. दे० ‘भुँइधरा’।
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भुँइहार  : पुं० [सं० भूमि+हार] १. मिरजापुर जिले के दक्षिण भाग में रहनेवाली एक अनार्य जाति। २. दे० ‘भूमिहार’।
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