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भोग्य  : वि० [सं० भुज् (उपभोग करना)+ण्यत्] १. (पदार्थ या संपत्ति) जिसका भोग करना उचित हो, किया जाने को हो अथवा किया जा रहा हो। २. जो भोगे जाने अर्थात् झेले या सहे जाने को हो। पुं० १. धन। २. धान्य। ३. रेहन का भोगबंधक का प्रकार।
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भोग्य भूमि  : स्त्री० [सं० कर्म० स०] १. वह स्थान जहाँ आनन्द केलि की जाती हो। २. मर्त्य-लोक, जिसमें जीव को अपने किये हुए कर्मों का फल भोगना पड़ता है।
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भोग्या  : वि० [सं० भोग्य+टाप्] भोग्य का स्त्रीलिंग रूप। स्त्री० वेश्या।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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