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शब्द का अर्थ
मूल-कृच्छ्र :
पुं० [सं० सुप्सुपा स०] स्मृतियों में वर्णित ग्यारह प्रकार के पूर्णकृच्छ्रव्रतों में से एक जिसमें मूली आदि कुछ विशेष जड़ों का क्याथ या रस पीकर एक मास तक रहना पड़ता है। (मिताक्षरा)।
समानार्थी शब्द-
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