शब्द का अर्थ
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वाच :
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स्त्री० [सं०√वच् (बोलना)+र्णिच्+अच्] एक प्रकार की मछली। स्त्री० [अ० वाँच] कलाई पर पहनने या जेब में रखने की छोटी घड़ी। |
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समानार्थी शब्द-
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वाचक :
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वि० [सं०√वच्+ण्वुल-अक] १. कहने या बोलनेवाला। २. बताने या बोध करानेवाला। जैसे–सम्बन्ध-वाचक। ३. वाचन करने अर्थात् पढ़कर सुनानेवाला। जैसे–कथा-वाचक। पुं० १. वह जिससे किसी वस्तु का अर्थ बोध हो। नाम। संज्ञा। संकेत। २. व्याकरण तथा भाषा-विज्ञान में तीन प्रकार के शब्दो में एक जो प्रसिद्ध या साक्षात्-अर्थ का बोधक होता है।, अर्थात् अर्थ के साथ जिसका वाच्य-वाचकवाला सम्बन्ध होता है। |
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वाचकधर्म लुप्ता :
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स्त्री० [ब० स०+टाप्] साहित्य में लुप्तोपमा अलंकार का एक प्रकार या भेद जिसमें वाचक और धर्म दोनों का कथन् नहीं होता। उदाहरण–दोनों भैया मुख शशि हमें लौट आकर दिखाओ–प्रियप्रवास। |
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वाचक्नवी :
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स्त्री० [सं० वचक्नु+इञ्+ङीष्] गार्गी। वाचकूटी। पुं० वचक्रु ऋषि की अपत्य या गोत्रज। |
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वाचन :
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पुं० [सं०√वच्+णिच्+ल्युट-अन] १. लिखी हुई चीज पढ़ना या उच्चारण करना। पठन। बाँधना जैसे–कथा-वाचक। २. कहना या कहकर बताना। ३. किसी मत, विचार या विषय का प्रतिपादन। ४. विधायिका सभा में किसी विधेयक का पढ़ा जाना (रीडिंग) जैसे– यह विधेयक का प्रथम वाचन था। |
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वाचनक :
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पुं० [सं० वाचन√कै+क०] पहेली। |
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वाचना :
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स्त्री०=वाचन। स०=बाँचना। (पढ़ना)। |
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वाचनालय :
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पुं० [सं०] वह सार्वजनिक (या निजी) स्थान जहाँ बैठकर पठन या अध्ययन किया जाता हो (रीडिंग रूम)। |
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वाचनिक :
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वि० [सं० वचन+ठक्-इक] वचन के द्वारा अथवा कथन के रूप में होनेवाला। |
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वाचयिता (तृ) :
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वि० [सं०√वच्+णिच्+तृच्]=वाचक। |
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वाचस्पति :
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पुं० [सं० ष० त०] १. बृहस्पति २. प्रजापति। ३. ब्रह्मा। ४. सोम। ५. बहुत बड़ा विद्वान। |
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वाचा :
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स्त्री० [सं० वाच्+टाप्] १. वाणी। २. वचन, शब्द या वाक्य। ३. शपथ। ४. सरस्वती। अव्य० [सं०] वचन द्वारा। वचन से। |
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वाचा-बद्ध :
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वि० [सं०] किसी को वचन देने के कारण बँधा हुआ। प्रतिज्ञाबद्ध। |
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वाचा-बंधन :
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पुं० [सं०] प्रतिज्ञा करके उसमें बँधना। |
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वाचापत्र :
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पुं० [सं०] प्रतिज्ञा-पत्र। |
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वाचाबंध :
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वि०=वाचाबद्ध। पुं०=वाचा-बंधन। |
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वाचाल :
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वि० [सं० वाच्+आलच्] [भाव० वाचालता] १. बोलने में तेज। वाकपटु। २. बकवादी। व्यर्थ बोलनेवाला। ३. उद्दंडतापूर्वक या बहुत बढ़-बढ़कर बातें करनेवाला। |
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वाचालता :
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स्त्री० [सं० वाचाल+तल्+टाप्] वाचाल होने की अवस्था या भाव। |
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वाचिक :
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वि० [सं०√वच्+ठक्-इक] १. वाचा या वाणी-संबंधी। २. वाचा या वाणी से निकला हुआ। मुँह से कहा हुआ। ३. संकेत के रूप में कहा या बतलाया हुआ। पुं० १. सन्देश आदि के रूप में कहलाई जानेवाली बात या भेजा जानेवाला पत्र। २. अभिनय का एक प्रकार का भेद जिसमें केवल वाक्य-विन्यास द्वारा अभिनय का कार्य सम्पन्न होता है। |
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वाची :
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वि० [सं० वाच्+इनि, वाचिन] १. वाचक। वाचा-सम्बन्धी। २. वाचा के रूप में होनेवाला। ३. परिचय या बोध करानेवाला जैसे–पक्षी-वाची शब्द। ४. वाचन करनेवाला। |
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वाच् :
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स्त्री० [सं०√वच् (बोलना)+क्विप्] वाचा। वाणी। वाक्य। |
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वाच्य :
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वि० [सं०√वच्+ण्यत्] १. जो वाचा के रूप में आता हो या आ सकता हो। जो कहा जा सके या कहे जाने के योग्य हो। २. शब्द की अभिधा शक्ति के द्वारा जिसका बोध होता हो या हो सकता हो। अभिधेय। ३. जिसे लोग बुरा कहते हों। कुत्सित। निन्दनीय। बुरा। पुं० वाचक शब्द का अर्थ। वाच्यार्थ। |
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वाच्यता :
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स्त्री० [सं० वाच्य+तल्+टाप्] १. ‘वाच्य’ होने की अवस्था या भाव। २ निंदा। ३. बदनामी। |
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वाच्यत्व :
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पुं० [सं० वाच्य+त्व]=वाच्यता। |
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वाच्यार्थ :
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पुं० [सं०] वाचक का अर्थ। अभिधेयार्थ। |
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वाच्यावाच्य :
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पुं० [सं०] १. कही जाने के योग्य बात और न कही जाने के योग्य बात। २. किसी अवसर पर अथवा किसी व्यक्ति से कहने और न कहने योग्य बातें। |
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