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सेहरा  : पुं० [हिं० सिर+हार] १. विवाह के समय वर को पहनाने के लिए फूलों या सुनहले-रुपहले तारों आदि की बड़ी मालाओं की पंक्ति या पुंज। २. विवाह का मुकुट। मौर। क्रि० प्र०–बँधना।–बाँधना। पद–सेहरा बँधाइ=वह धन या नेग जो दूल्हे को सेहरा बाँधने पर दिया जाता है। सेहरे जलवे का बीबी=वह स्त्री जिसके साथ रीति पूर्वक सेहरा बाँधकर और धूम-धाम से बारात निकालकर विवाह किया गया हो। (उपपत्नी यी रखली से भिन्न) मुहा०–(किसी काम या बात का) किसी के सिर सेहरा बाँधना=किसी कार्य के सफलतापूर्ण संपादन का श्रेय प्राप्त होना। किसी काम या बात का यश मिलना। ३. विवाह के समय वर पक्ष से गाये जाने वाले मांगलिक गीत या पढ़े जाने वाले पद्य। ४. मछली के शरीर पर सीपी की तरह चमकीले छिलके जो जो छोटे—छोटे टुकड़ो के रूप में निकलते हैं। (फि़श—स्केल) ५. चित्रकला में सजावट के लिए उक्त आकार प्रकार का अंकन।
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सेहरा  : स्त्री० [सं० शफरी] छोटी मछली। सहरी।
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सेहराबंदी  : स्त्री० [हिं० सेहरा=फा० बंदी] विवाह के अवसर पर बरात निकलने से पहले वर को सेहरा बाँधने का धार्मिक और सामाजिक कृत्य।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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